कौन हैं पैरालंपिक्स 2024 में सफलता का परचम लहराने वालीं अवनी लेखरा?
पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में भारत की झोली में कई मेडल आ चुके हैं. अविन लेखरा ऐसी ही एक खिलाड़ी हैं अवनी लेखरा, जिन्होंने अपनी सफलता फिर से दोहराई है.

जो काम पेरिस ओलंपिक 2024 में नीरज चोपड़ा नहीं कर पाए, मनु भाकर नहीं कर पाईं और विनेश फोगाट एक चूक की वजह से नहीं कर पाईं, वह काम पैरा शूटर अवनि लेखरा ने कर दिखाया है. देश की दिग्गज पैरा शूटर अवनि लेखरा ने एक बार फिर गोल्ड मेडल जीत लिया है. दुनिया के कई देशों के खिलाड़ियों और प्रतिनिधियों के सामने 'जन-गण-मन' का गान बजवाने का अवसर, अवनि लेखरा की अचूक निशानेबाजी की वजह से मिला है. उन्होंने 10 मीटर एयर विमेन राइफल में एक बार फिर नंबर वन पोजिशन बरकरार रखी है. उनकी वजह से भारत के खाते में एक गोल्ड मेडल आ गिरा है.
भारत के लिए पैरालंपिक्स 2024 का यह मुकाबला इसलिए भी खास रहा कि इस कंपटीशन का ब्रॉन्ज भी अपने देश की लाडली बेटी लाई है. पैरा शूटिंग में मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज झटक लिया है. ऐसे में भारत के खाते में दोहरा पदक आ गिरा है. 30 अगस्त को खेले गए इस मुकाबले में देश की दो बेटियों ने पदक जीतकर भारत का मान बढ़ाया है. अवनि लेखरा, देश की सबसे सफल महिला खिलाड़ियों में से एक हैं. उन्होंने पैरालंपिक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर लगातार 2 गोल्ड हासिल किया है. भारत के लिए यह उपलब्धि दुर्लभ है.
कौन हैं गोल्डन गर्ल अवनि लेखरा?
अवनि लेखरा, राजस्थान के जयपुर शहर से आती हैं. शारीरिक चुनौतियों को दरकिनार कर, अपने दृढ़ आत्मबल से उन्होंने यह सफलता अर्जित की है. अवनि लेखरा, हमेशा से ऐसी नहीं थीं. एक सड़क दुर्घटना में उन्होंने अपने पांव गंवा दिया, जब होश संभला तो एहसास हुआ के वे अब कभी खड़ी नहीं हो पाएंगी. हमेशा अपने पैरों पर चलकर दुनिया नापने वालीं अवनि लेखरा, व्हीलचेयर पर आईं तो आत्मविश्वास डगमगा गया.
बहादुर लेकिन अपनी किस्मत खुद लिखते हैं. उन्होंने कठिन मेहनत की. एथेलेटिक्स के लिए खुद को तैयार किया. उन्होंने शारीरिक क्षमताओं को दरकिनार किया, घंटो प्रैक्टिस की और अनुशासन से जीत की नई इबारत लिखी. वे अपने लक्ष्य के प्रति बेहद सटीक रहीं, उन्होंने ध्यान बल को मजबूत किया और पैरालंपिक्स में अपना भाग्य आजमाया. वे तीरंदाजी की भी बेहतरीन खिलाड़ी हैं. इस मुश्किल वक्त में उनके पिता, साए की तरह साथ रहे.
किसे गुरु मानती हैं अवनि?
अवनि लेखरा, अभिनव बिंद्रा को अपना 'द्रोणाचार्य' मानती हैं. वे उनसे प्रभावित होकर, साल 2015 में शूटिंग में हिस्सा लिया. उन्होंने कड़ी मेहनत की, उनकी प्रतिभा रंग लाई और देखते ही देखते वे राष्ट्रीय फलक पर छा गईं. उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर जीत हासिल की. उन्होंने जूनियर से लेकर सीनियर स्तर तक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. पैरा शूटिंग में वे सफलतम खिलाड़ियों में से एक हैं.
उन्होंने कानून की पढ़ाई की है. वे अच्छी स्टूडेंट भी हैं. साल 2021 में टोक्टो पैरालंपिक्स के दौरान उन्होंने एक ही स्पर्धा में दो-दो पदक हासिल किया. एक में उन्होंने गोल्ड झटका, दूसरे में उन्हें कांस्य पदक हासिल हुआ. वह ऐसा करने वाली पहली खिलाड़ी भी बन गईं. उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.