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61760 रन, 199 शतक और 273 अर्धशतक... 46 साल की उम्र में पहली टेस्ट सेंचुरी लगाने वाले 'द मास्टर' कौन थे?

इंग्लैंड के सर जॉन बेरी हॉब्स, जिन्हें जैक हॉब्स के नाम से भी जाना जाता है, क्रिकेट इतिहास के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक थे. उन्होंने अपने करियर में 61,760 प्रथम श्रेणी रन बनाए और 199 शतक लगाए, जो आज भी एक रिकॉर्ड है. उनकी तकनीक, धैर्य और निरंतरता के कारण उन्हें 'द मास्टर' भी कहा जाता है. उन्होंने 46 साल की उम्र में पहला टेस्ट शतक लगाया, जो आज भी एक रिकॉर्ड है.

61760 रन, 199 शतक और 273 अर्धशतक... 46 साल की उम्र में पहली टेस्ट सेंचुरी लगाने वाले द मास्टर कौन थे?
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Jack Hobes The Master Records: ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच 15 मार्च 1877 को पहली बार टेस्ट क्रिकेट खेला गया था. दोनों देशों के बीच 12 साल तक मैच होते रहे. इसके बाद 1889 में तीसरी टीम साउथ अफ्रीका की एंट्री हुई. हालांकि, शुरू में इंग्लैंड का दक्षिण अफ्रीका पर दबदबा रहा. 1889 से 1899 के बीच साउथ अफ्रीका को 8 बार हार का सामना करना पड़़ा. 1902 में पहली बार साउथ अफ्रीका ने ड्रॉ खेला. इसके बाद 4 जनवरी 1906 को उसने इंग्लैंड को जोहांसबर्ग में एक रन से हराया. इसके 2 साल बाद एक ऐसे ओपनर का आगाज होता है, जिसने क्रिकेट में तहलका मचा दिया. उसने ऐसे रिकॉर्ड्स बनाए, जिसके बारे में कोई खिलाड़ी सोच भी नहीं सकता. इस खिलाड़ी का नाम है- जैक हॉब्स.

मशहूर पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह ने अपनी किताब 'ओपनर्स' में बताते हैं इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज जैक हॉब्स ने 1908 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू किया था. उन्होंने अपने पहले टेस्ट मैच में 83 रन बनाए थे. इसके 2 साल बाद साउथ अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा. इसके बाद तो साल दर साल उनके शतकों का आंकड़ा बढ़ता ही गया.

जैक हॉब्स को कहा जाता है 'द मास्टर'

जैक हॉब्स को द मास्टर कहा जाता है. उन्होंने 61 टेस्ट की 102 पारियों में 7 बार नॉट आउट रहते हुए 56.94 की औसत के साथ 5410 रन बनाए. उनका सर्वोच्च स्कोर 211 रन रहा. अपने टेस्ट करियर में उन्होंने 15 शतक और 28 अर्धशतक जड़ा. इसके अलावा, 1 1 पारियों में गेंदबाजी करते हुए 1 विकेट भी चटकाए.

जैक हॉब्स के रिकॉर्ड्स

  • फर्स्ट क्लास क्रिकेट में लगाए 199 शतक: जैक हॉब्स ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जिसे तोड़ना आज के खिलाड़ियों के लिए लगभग नामुमकिन जैसा है. हॉब्स ने 834 मैचों में 199 शतक और 273 अर्धशतक लगाते हुए 50.70 की औसत के साथ 61760 रन बनाए. वे 107 बार नॉट आउट रहे. उनका सर्वोच्च स्कोर नाबाद 316 रन है. इसके साथ ही, उन्होंने 837 मैचों में गेंदबाजी करते हुए 108 विकेट भी चटकाए. उनका बेस्ट प्रदर्शन 7/56 रन है. उन्होंने 1905 से 1934 तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला.
  • शतक लगाने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी: जैक हॉब्स शतक लगाने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं. उन्होंने 1928-29 में 46 साल 82 दिन की उम्र में शतक जड़ा. उनका टेस्ट में 22 साल 233 दिन तक लंबा करियर रहा.
  • एक ही मैच में की बैट और गेंद से ओपनिंग: हॉब्स के नाम एक ही मैच में सलामी बल्लेबाज के रूप में खेलने और मैच का पहला ओवर डालने का रिकॉर्ड है. कहा जाता है कि अगर विश्व युद्ध न हुआ होता तो वे और ज्यादा रन और शतक बनाते. हॉब्स ने अपना डेब्यू 1-7 जनवरी 1908 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था. वहीं, अपना आखिरी मैच भी उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ही खिलाफ 16-22 अगस्त 1930 को द ओवल में खेला.
  • 40 से ज्यादा उम्र में बनाए आधे से ज्यादा शतक: हॉब्स के बारे में कहा जाता है कि 199 में से आधे शतक उन्होंने तब बनाए, जब वे 40 साल से अधिक उम्र के थे.
  • नाइट हुड की उपाधि पाने वाले पहले क्रिकेटर: हॉब्स 1928-29 में 46 साल की उम्र में टेस्ट शतक लगाने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे. वे 1953 में नाइटहुड की उपाधि पाने वाले पहले पेशेवर क्रिकेटर थे.

शतक बनाने के बाद खुद आउट हो जाते थे जैक हॉब्स

जैक हॉब्स के बारे में कहा जाता है कि वे शतक बनाने के बाद खुद आउट हो जाया करते थे, ताकि अन्य खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिल सके. उनके ओपनिंग पार्टनर हर्बर्ट सटक्लिफ ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया, मैंने कई मैचों में हॉब्स के साथ ओपनिंग की. इसमें से कुछ मैचों में विकेट बहुत ही ज्यादा खराब था. मैं बिना किसी दोराय के यह कह सकता हूं कि वे हमारे समय के सबसे शानदार बल्लेबाज थे. वे किसी भी तरह की विकेट पर खेल सकते थे. वे हमारी पीढ़ी के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज थे.

16 दिसंबर 1882 को कैंब्रिज में हुआ था हॉब्स का जन्म

जैक हॉब्स को सर जॉन बेरी हॉब्स के नाम से भी जाना जाता है. उनका जन्म 16 दिसंबर 1882 को इंग्लैंड के कैंब्रिज में हुआ था. उनके पिता फेनर्स में ग्राउंड्समैन और अंपायर थे. उन्होंने अपने पिता के साथ मैदान में काम करते हुए औपचारिक कोचिंग के बिना ही क्रिकेट खेलना सीखा. उनकी प्राकृतिक प्रतिभा और समर्पण ने उन्हें 1905 में सरे काउंटी क्रिकेट क्लब के लिए पदार्पण करने का अवसर दिलाया. उनका अंतरराष्ट्रीय करियर 1908 में शुरू हुआ और 1930 तक चला. उन्होंने 21 दिसंबर 1963 को 81 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन क्रिकेट में उनकी विरासत आज भी जिंदा है.

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