ICC Women’s World Cup 2025: क्या पाकिस्तान के खिलाफ मैच में फिर दिखेगा 'नो हैंडशेक', क्या करेंगी हरमनप्रीत कौर?
ICC Women’s World Cup 2025 में भारत-पाकिस्तान मैच से पहले हैंडशेक विवाद छाया हुआ है. एशिया कप 2025 में सूर्यकुमार यादव ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया था, जिसे राजनीति और स्पोर्ट्समैनशिप दोनों नजरों से देखा गया. अब सवाल है कि हरमनप्रीत कौर फातिमा सना के साथ हाथ मिलाएंगी या नहीं.

एशिया कप 2025 का अंत जितना विवादों से भरा रहा, उतना शायद ही कभी हुआ हो. भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को हराकर ट्रॉफी तो जीती, लेकिन ACC प्रेसिडेंट और पाकिस्तानी नेता मोहसिन नक़वी से हाथ मिलाने और ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया. खिलाड़ियों ने मंच पर ही ‘काल्पनिक जश्न’ मनाया और यह तस्वीर इतिहास बन गई. अब जब ICC Women’s World Cup 2025 में 5 अक्टूबर को कोलंबो में भारत-पाकिस्तान का महामुकाबला खेला जाएगा, सबकी निगाहें इस पर हैं कि क्या हरमनप्रीत कौर भी वही रास्ता अपनाएंगी?
सवाल सिर्फ़ एक औपचारिक हैंडशेक का नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपे राजनीतिक और कूटनीतिक मायनों का है. एशिया कप में सूर्यकुमार यादव द्वारा अपनाई गई 'नो हैंडशेक पॉलिसी' को एक मौन राजनीतिक संदेश माना गया था. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वही स्थिति महिलाओं के मैच में भी देखने को मिलेगी.
हरमनप्रीत ने टाल दिया था सवाल
पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब हरमनप्रीत कौर से पूछा गया कि क्या वह पाकिस्तान की कप्तान फातिमा सना से हाथ मिलाएंगी, तो उन्होंने सवाल टालते हुए कहा, “हमारा पूरा ध्यान सिर्फ़ क्रिकेट पर है. इस समय श्रीलंका के खिलाफ़ मैच अहम है, वही इस टूर्नामेंट का टोन सेट करेगा.” उनके इस जवाब से साफ़ है कि भारतीय टीम मैदान को राजनीति से दूर रखना चाहती है.
भारत बनाम पाकिस्तान - खेल से बड़ा एक इवेंट
भारत और पाकिस्तान के बीच हर मैच सिर्फ़ क्रिकेट नहीं होता, बल्कि एक जज़्बा, एक अनुभव और कभी-कभी एक राजनीतिक घटना बन जाता है. खासकर जब मैदान पर छोटे-से-छोटा इशारा भी बड़े संदेश में बदल जाए. अगर हरमनप्रीत और फातिमा सना हाथ मिलाती हैं, तो यह स्पोर्ट्समैनशिप का शानदार उदाहरण होगा. अगर ऐसा नहीं होता, तो यह तस्वीर एक बार फिर राजनीतिक बहस का हिस्सा बन जाएगी. स्टेडियम के बाहर मीडिया, सोशल मीडिया और दर्शकों में इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आना तय हैं.
महिलाओं के खेल पर दबाव
महिला क्रिकेट ने पिछले कुछ सालों में अपनी अलग पहचान बनाई है. विश्व स्तर पर दर्शकों और स्पॉन्सर्स की रुचि बढ़ी है. ऐसे में यह आवश्यक है कि महिला क्रिकेट बाहरी दबावों और विवादों से ऊपर उठकर सिर्फ़ खेल पर फोकस करे. हालांकि यह भी सच है कि जब भारत-पाकिस्तान आमने-सामने होते हैं, तो खेल से ज्यादा माहौल और भावनाएं हावी हो जाती हैं. कोलंबो का यह मैच भी महज़ रन और विकेट का खेल नहीं होगा, बल्कि इसमें हैंडशेक होगा या नहीं, यह भी बड़ी खबर बनेगा.
नो हैंडशेक का असर - खेल से बाहर की गूंज
हैंडशेक का होना या न होना, दोनों ही स्थितियां अपने-अपने संदेश देंगी. अगर हैंडशेक हुआ तो यह साबित करेगा कि महिला क्रिकेट राजनीति से ऊपर उठकर खेल की गरिमा को बनाए रखना जानता है. अगर नहीं हुआ तो यह विवाद को और बढ़ाएगा और खेल से ज्यादा चर्चा 'राजनीति बनाम क्रिकेट' पर होगी. यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी यह सवाल उठ सकता है कि क्या एशिया कप की कड़वाहट अब महिलाओं के खेल में भी उतर आई है.
भारत की रणनीति - विवाद से दूरी
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) और महिला टीम प्रबंधन अब तक इस मुद्दे से दूरी बनाकर चल रहे हैं. संदेश साफ़ है - मैदान कूटनीति का अखाड़ा नहीं, बल्कि सिर्फ़ खेल का मंच होना चाहिए. लेकिन साथ ही, यह भी सच है कि भारतीय जनता और क्रिकेट फैंस भावनाओं से भरे रहते हैं. अगर हरमनप्रीत कौर ने सूर्यकुमार यादव की तरह "नो हैंडशेक" रास्ता चुना, तो यह उन्हें घरेलू दर्शकों के बीच हीरो बना देगा.
पाकिस्तान से मैच - खेल से बढ़कर एक परीक्षा
5 अक्टूबर का यह मुकाबला सिर्फ़ दो टीमों के बीच नहीं होगा, बल्कि यह क्रिकेट, राजनीति और भावनाओं का संगम होगा. यह तय करेगा कि महिला क्रिकेट खुद को पुरुष क्रिकेट के विवादों से अलग पहचान दिला पाता है या नहीं. यह भी दिखाएगा कि क्या भारतीय खिलाड़ी उस स्थिति में भी खेल की मर्यादा बनाए रखते हैं, जहां बाहरी दबाव बहुत ज्यादा हो.
ICC Women’s World Cup 2025 का भारत-पाकिस्तान मैच पहले से ही दर्शकों के लिए रोमांच और प्रतीकात्मक मायनों से भरा हुआ है. एशिया कप की "नो हैंडशेक" छाया अब इस मुकाबले पर भी मंडरा रही है. हरमनप्रीत कौर क्या करेंगी - हाथ मिलाएंगी या नहीं? इसका जवाब तो 5 अक्टूबर को मिलेगा. लेकिन इतना तय है कि यह मुकाबला स्कोरकार्ड से आगे बढ़कर इतिहास का हिस्सा बनेगा.