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Shatrughan Wife: कौन हैं शत्रुघ्न की पत्नी श्रुतकीर्ति, क्या है उनके जीवन का रहस्य?

रामायण में राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चार भाइयों का उल्लेख मिलता है. इन भाइयों के साथ-साथ उनकी पत्नियों का भी महत्वपूर्ण स्थान है. जहां राम का विवाह सीता से हुआ, वहीं लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला, भरत की पत्नी मांडवी और शत्रुघ्न की पत्नी श्रुतकीर्ति बनीं. हालांकि श्रुतकीर्ति का नाम रामायण में बहुत कम लिया गया है.

Shatrughan Wife: कौन हैं शत्रुघ्न की पत्नी श्रुतकीर्ति, क्या है उनके जीवन का रहस्य?
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 22 Oct 2024 7:14 PM

Shatrughan Wife: रामायण में राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चार भाइयों का उल्लेख मिलता है. इन भाइयों के साथ-साथ उनकी पत्नियों का भी महत्वपूर्ण स्थान है. जहां राम का विवाह सीता से हुआ, वहीं लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला, भरत की पत्नी मांडवी और शत्रुघ्न की पत्नी श्रुतकीर्ति बनीं. हालांकि श्रुतकीर्ति का नाम रामायण में बहुत कम लिया गया है, लेकिन उनका जीवन और उनके व्यक्तित्व से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं. आइए, जानते हैं शत्रुघ्न की पत्नी श्रुतकीर्ति के बारे में

कौन थीं श्रुतकीर्ति?

अधिकतर लोग यह मानते हैं कि राजा जनक की चार बेटियां थीं, लेकिन वास्तव में राजा जनक की सिर्फ दो बेटियां थीं- सीता और उर्मिला. मांडवी और श्रुतकीर्ति राजा जनक के भाई कुशध्वज और उनकी पत्नी चंद्रभागा की पुत्रियां थीं. सरल शब्दों में कहें तो मांडवी और श्रुतकीर्ति, सीता की चचेरी बहनें थीं.

श्रुतकीर्ति का दिव्य अवतार

शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम भगवान विष्णु के अवतार थे और उनके चक्र तथा शंख ने भरत और शत्रुघ्न के रूप में जन्म लिया था. इसी तरह, सीता को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है और श्रुतकीर्ति लक्ष्मी के चक्र का अवतार थीं. जब माता लक्ष्मी पृथ्वी पर सीता के रूप में आईं तो उनका दिव्य चक्र श्रुतकीर्ति के रूप में अवतरित हुआ.

श्रुतकीर्ति का रामायण में योगदान

रामायण में श्रुतकीर्ति का वर्णन बहुत कम मिलता है, लेकिन वे एक दिव्य कन्या मानी जाती हैं. राम के वनवास के समय, श्रुतकीर्ति अपने पति शत्रुघ्न के लिए ताकत और सहारा बनी रहीं. उन्होंने रघुकुल की पुत्रवधु के रूप में सदैव समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया.

श्रुतकीर्ति का अंत और उनका दिव्य रूप

श्रुतकीर्ति के बारे में यह कहा जाता है कि जब माता सीता पृथ्वी में समाकर पुनः अपने धाम लक्ष्मी रूप में पहुंचीं, तो श्रुतकीर्ति ने भी उनके बाद अपने प्राण त्याग दिए. वे लक्ष्मी के चक्र के रूप में वापस उनके पास पहुंचीं और माता लक्ष्मी के हाथों में विराजित हो गईं.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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