Solar Eclipse 2025: जानें कब है साल का पहला सूर्य ग्रहण, क्या भारत में दिखेगा?
सूर्य ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं. यह साल में 2 से 5 बार लग सकता है. माना जाता है कि सूर्य ग्रहण नहीं देखना चाहिए. इसके कारण नुकसान होता है. मार्च के महीने में साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है.
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, और सूर्य का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा पृथ्वी से दिखाई नहीं देता. इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है. सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से या आंशिक रूप से सूर्य को ढक लेता है. सूर्य ग्रहण के दौरान, दिन में अंधेरा सा हो जाता है और आकाश में एक काले घेरे जैसा दिखाई देता है, जिसे कोरोना कहा जाता है.
सूर्य ग्रहण आमतौर पर साल में 2 से 5 बार होते हैं, लेकिन यह पूरी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग समय और स्थान पर दिखाई देते हैं. इसे देखने के लिए विशेष सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना जरूरी होता है, क्योंकि सूर्य की सीधी रोशनी आंखों के लिए हानिकारक हो सकती है.
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कब है सूर्य ग्रहण?
इस साल 30 मार्च को सूर्य ग्रहण लगेगा. इस बार यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के क्षेत्र में सूर्य ग्रहण नजर आएगा, लेकिन भारत में नहीं दिखेगा. इसलिए सूतल काल भी नहीं लगेगा.
सूर्य ग्रहण के प्रकार
- पूर्ण सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है, तब इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं. इस दौरान सूर्य का पूरी तरह से दृश्य समाप्त हो जाता है और आकाश में अंधेरा छा जाता है.
- आंशिक सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य का केवल एक हिस्सा ढकता है, तब इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है. इस प्रकार के ग्रहण में सूर्य का कुछ हिस्सा ही ढका हुआ दिखता है.
- उलटा सूर्य ग्रहण (एनुलर सूर्य ग्रहण): यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर पूरी तरह सूर्य को नहीं ढकता, बल्कि सूर्य के चारों ओर एक चमकदार रिंग बन जाती है. इसे "रिंग ऑफ फायर" भी कहते हैं.
भारत में सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व
भारत में सूर्य ग्रहण को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. साथ ही, कहा जाता है कि इस दौरान खाना नहीं खाना चाहिए. साथ ही, देवी-देवताओं की पूजा करने की भी मनाही होती है.





