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नौ दिन की ही क्यों होती है नवरात्रि? भगवान राम से है सीधा कनेक्शन

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने नौ दिनों तक देवी की उपासना करने के बाद देवी की ही शक्ति से महान आतातायी रावण का वध किया था. इसी प्रकार देवताओं ने भी नौ दिन की पूजा के बाद अपनी शक्तियों को संग्रहित कर देवी दुर्गा को प्रकट किया था.

नौ दिन की ही क्यों होती है नवरात्रि? भगवान राम से है सीधा कनेक्शन
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दुर्गा पूजा
स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 23 Sept 2024 7:03 PM

देवी की पूजा के लिए साल में चार नवरात्रियां आती हैं. इनमें दो नवरात्रियां तो सभी सनातनी लोग धूमधाम से मनाते ही है, लेकिन देवी दुर्गा के भक्त दोनों गुप्त नवरात्रियों को भी मनाते हैं और इन सभी नौ दिनों में माता की पूजा करते है और रात्रि में जागरण करते हैं. ऐसे में एक सवाल तो सबके मन में उठता है कि माता की पूजा के लिए ये नौ दिनों की ही क्यों होती हैं नवरात्रियां? इस सवाल का जवाब पौराणिक ग्रंथों के अलावा उत्तर पौराणिक ग्रंथों में खूब मिलता है. मान्यता है कि पहली बार माता की नौ दिनों तक पूजा भगवान श्रीराम ने की थी. इस पूजा के समय वह लंका में रावण के साथ युद्ध कर रहे थे.

कथा आती है कि भगवान राम और रावण के बीच युद्ध 10 दिनों तक चला था. इन नौ दिनों में दिन के समय तो भगवान राम रावण के साथ युद्ध करते, लेकिन रात में देवी शक्ति की पूजा करते. फिर देवी शक्ति की ही कृपा से भगवान राम ने जिस दिन पूजा का परायण किया, उसी दिन रावण को मार गरिया. इसी प्रकार एक और कथा मार्कंडेय पुराण से आती है. इस कथा के मुताबिक महिषासुर ब्रह्मा का आशीर्वाद पाकर देवताओं का त्रास देने लगा था. उस समय ब्रह्मा के ही कहने पर सभी देवताओं ने नौ दिनों तक अपनी अपनी शक्तियों की उपासना की और इन शक्तियों को एक जगह जमा किया. वहीं शक्तियां मिलकर दुर्गा के रूप में प्रकट हुई. इस प्रकार महिषासुर का वध हो सका था.

नौ दिन की पूजा मिलती है लक्ष्य हासिल करने की शक्ति

इन सभी धार्मिक ग्रंथों में नवरात्रि को लेकर अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक नवरात्रि के नौ दिनों में शुद्ध मन से माता की पूजा करने और बताए गए नियमों का आचरण करने से आदमी का तन और मन दोनों ही पवित्र हो जाता है. इससे माता के भक्तों के अंदर लक्ष्य को हासिल करने की शक्ति संग्रहित होती है. ऐसा होने पर माता की कृपा से भक्तों के लिए रावण और महिषासुर जैसी बाधा सामने होने के बाद भी कोई कार्य मुश्किल नहीं होता. इस पूजा के लिए मार्कंडेय पुराण में कुछ नियम बनाए गए हैं. इन नियमों का पालन जरूरी होता है.

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