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Radha Ashtami 2024 : जाने क्यों साल में एक बार होते हैं राधा रानी के चरण के दर्शन?

हिंदू मान्यता के मुताबिक राधा रानी के चरणों के दर्शन बेहद दुलर्भ है. लेकिन साल में एक बार राधाष्टमी के खास मौके पर भक्तों को राधा जी के चरण दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है.

Radha Ashtami 2024 : जाने क्यों साल में एक बार होते हैं राधा रानी के चरण के दर्शन?
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रूपाली राय
by: रूपाली राय

Updated on: 10 Sept 2024 2:53 PM IST

राधा अष्टमी, जिसे राधाष्टमी या राधा जयंती के नाम से भी जाना जाता है, भगवान की श्री कृष्ण की प्रेमिका देवी राधा की जयंती का उत्सव है. यह शुभ अवसर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के दौरान अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर में आती है. 2024 में राधा अष्टमी 11 सितंबर, बुधवार को मनाई जाएगी.

लेकिन क्या राधा रानी कुछ भक्त ये जानते है कि आखिर क्यों राधा जी के चरण हमेशा ढके रहते हैं. बता दें कि राधा रानी के चरण हमेशा ढके रहने की परंपरा और साल में केवल एक बार चरण दर्शन की प्रथा हिंदू धर्म में उनकी दिव्यता और महत्व को दर्शाने के लिए हैं. इस विशेष परंपरा के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण हो सकते हैं.

श्री कृष्ण ने छुए राधा रानी के चरण

मना जाता है कि राधा रानी के पैरों के दर्शन करना बेहद दुलर्भ है क्योंकि श्री कृष्ण उनके चरणों को अपने हृदय के पास रखते हैं. श्री कृष्ण इस संसार में पूजनीय है लेकिन वह राधा रानी के चरणों को स्पर्श करते थें. उन्होंने राधा के चरण अपने रिश्ते में समानता दर्शाने के लिए छुए थें. इस वाकया का जिक्र बारहवीं शताब्दी में वैष्णव कवि जयदेव ने गीत 'गोविंद' में की है.

जीवन हो जाता है सफल

मान्यता के अनुसार मां राधा के चरण अत्यंत पवित्र हैं और उनके दर्शन मात्र से जीवन सफल हो जाता है. भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि उन्हें स्वयं राधा रानी के चरण कमलों के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ इसलिए उनके पैर हमेशा ढके रहते हैं. लेकिन हर साल राधा रानी के भक्तों के लिए राधा अष्टमी के खास मौके पर उनके चरण के दर्शन होते हैं.

धार्मिक और सांस्कृतिक कारण

आध्यात्मिक आदर और सम्मान: राधा रानी को अत्यधिक सम्मान और श्रद्धा दी जाती है.उनके चरणों को ढके रखने से उनकी दिव्यता और पवित्रता को बनाए रखने की कोशिश की जाती है.यह इस बात का प्रतीक है कि उनका संपर्क और दर्शन बहुत खास और अनुशासनित तरीके से किया जाना चाहिए.

अनन्य भक्ति का प्रतीक: साल में केवल एक बार चरण दर्शन की परंपरा भक्तों को एक खास अवसर प्रदान करती है जिसमें वे खास रूप से तैयार होकर और समर्पित भाव से पूजा कर सकते हैं. यह भक्तों को उनकी भक्ति और समर्पण को और भी गहरा बनाने का अवसर देती है.

धार्मिक परंपराएं: भारतीय धार्मिक परंपराओं में, विशेष अवसरों और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान देवताओं की पूजा और दर्शन के नियम और विधियां बहुत सख्त होती हैं. यह परंपराएं अक्सर हजारों वर्षों से चली आ रही होती हैं और इनमें परिवर्तन करने से धार्मिक नियमों का उल्लंघन हो सकता है.

संस्कृतिक मान्यताएं: यह परंपरा एक सांस्कृतिक मान्यता भी हो सकती है जो विभिन्न स्थानों और समुदायों में राधा रानी की पूजा के तरीके को दर्शाती है. विभिन्न मंदिरों और स्थानों पर पूजा के नियम अलग-अलग हो सकते हैं, जो स्थानीय मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित होते हैं.

इन सभी कारणों से, राधा रानी के चरण दर्शन को विशेष और यादगार बनाने के लिए उनके चरणों को ढके रखा जाता है और साल में केवल एक बार दर्शन का अवसर प्रदान किया जाता है.

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