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Pitru Paksha: कुश से ही क्यों होता है पितरों को तर्पण? जानें क्या है रहस्य

कुश से ही तर्पण के पीछे बड़ा रहस्य है. मान्यता है कि कुश वाराह भगवान के शरीर से झड़े हुए रोएं हैं और इनपर अमृत की बूंदे गिरने की वजह से यह अजर और अमर है. चूंकि आत्मा भी अजर और अमर है, इसलिए उसके तर्पण के लिए कुश का इस्तेमाल होता है.

Pitru Paksha: कुश से ही क्यों होता है पितरों को तर्पण? जानें क्या है रहस्य
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 20 Sept 2024 5:05 PM

पितृ पक्ष चल रहा है और इसमें आपने देखा होगा कि तर्पण का काम कुश (सूखी घास) से होता है. क्या आप जानते हैं कि कुश से ही तर्पण क्यों होता है? यदि नहीं तो यहां हम आपको बता रहे हैं. सबसे पहले तो यह जान लेना जरूरी है कि कुश होता क्या है. इस संबंध में विष्णु पुराण में एक कथा है. इस कथा के मुताबिक भगवान नारायण ने हिरण्याक्ष के वध के लिए वाराह (सूकर) अवतार लिया था. वह जब हिरण्याक्ष से युद्ध कर रहे थे तो उनके शरीर के रोएं जमीन पर गिरे थे. यही रोएं कुश के रूप में जमीन से उग गए. उसी समय से कुश को बेहद पवित्र माना गया है.

किसी भी तरह का धर्म कार्य हो, उसमें कुश का कई तरह से इस्तेमाल होता ही है. अब दूसरा सवाल यह कि तर्पण के लिए कुश का इस्तेमाल क्यों? इस सवाल के जवाब भी विष्णु पुराण में ही मिलते हैं. कथा आती है कि देवासुर संग्राम के दौरान जब समुद्र मंथन हुआ था, उस समय समुद्र से नौ रत्न निकले थे. आखिरी में भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. उस समय देवों और दानवों में इसे पाने के लिए संघर्ष शुरू हो गया. इस दौरान भगवान नारायण मोहिनी रूप में आए और यह अमृत देवताओं को पिला दिया.

पुर्नजन्म का द्योतक है कुश

लेकिन इससे ठीक पहले हुए संघर्ष और छीना झपटी में इस अमृत की कुछ बूंदे धरती पर कुश के पौधे पर गिर गईं. इसकी वजह से यह पौधा भी अमर हो गया. यही कारण है कि इस पौधे को कितना भी काटो, जलाओं, यह फिर से उग आता है. जहां तक बात तर्पण में कुश के इस्तेमाल की है तो इसके पीछे का रहस्य है कि सनातन धर्म में पुर्नजन्म की मान्यता है. कुश का पौधा इसी पुर्नजन्म का द्योतक है. इस लिए चाहे पितर तीर्थ गया हो या फिर कोई और, हर जगह तर्पण के लिए कुश का ही इस्तेमाल किया जाता है.

तर्पण का सही तरीका

पितरों का तर्पण कुश के आगे वाले भाग से करना चाहिए. ऐसा करने से पितृगण संपूर्ण जल पाते हैं और फिर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. इस प्रकार जब पितर खुश होते हैं तो घर में पितृ दोष की समस्या का भी निराकरण हो जाता है. इससे इंसान के जीवन में धन, सुख, समृद्ध का विस्तार होता है.

क्या होता है तर्पण?

पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है. इसे ही सरल भाषा में तर्पण कहा गया है. मान्यता है कि पितरों को तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. वैसे तो गया में तर्पण किसी भी दिन और कभी भी किया जा सकता है, लेकिन गया के बाहर तर्पण के लिए कुछ समयावधि को निषिद्ध माना गया है. खना चाहिए.

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