Begin typing your search...

बेटा अक्सर पड़ता है बीमार? पितृदोष का हो सकता है असर

पितृदोष को लेकर अक्सर चर्चा होती है, सवाल पूछे जाते हैं कि पितृदोष लगने से होता क्या है? इस सवाल का जवाब भी शास्त्रों में मिलता है. इस कहानी में हम आपको पितृदोष के लक्षण और उसके निवारण के उपाय बता रहें हैं.

बेटा अक्सर पड़ता है बीमार? पितृदोष का हो सकता है असर
X
स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 20 Sept 2024 7:42 PM IST

यदि आपके घर में कोई व्यक्ति खासतौर पर बेटा अक्सर बीमार रहता है, लाख दवाइयों के बावजूद उसके सेहत में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हो रहा तो फिर आपको सतर्क हो जाना चाहिए. हो सकता है कि ऐसा पितृदोष की वजह से हो रहा हो. यदि ऐसा है तो आपको तत्काल अपने पितरों को खुश करने की कोशिश करनी चाहिए. गरुड़ पुराण के मुताबिक पितरों के प्रसन्न होने पर व्यवहारिक जीवन में भी बरकत आती है. इसके लिए गया में श्राद्ध करने का प्रावधान किया गया है. सनातन धर्म में तीन प्रकार के दोष कहे गए हैं. ऋषि दोष, देव दोष और पितृदोष.

इन तीनों दोषों के समन के लिए जनेऊ यानी यज्ञोपवीत में तीन तारों का जिक्र किया गया है. चूंकि पितृपक्ष चल रहा है, इसलिए प्रसंग में आगे बढ़ने से पहले यह समझ लेना चाहिए कि पितृदोष आखिर होता क्या है? शास्त्रीय पद्धति में इसका वर्णन विस्तार से मिलता है. कहा जाता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी रूप में अपने माता या पिता को दुखी करता है, वृद्धावस्था में उनका अपमान करता है या सेवा से इंकार करता है तो वह पुत्र पितृदोष का भागी बनता है. इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति किसी से उत्तराधिकार लेता है और इसके बाद उस व्यक्ति को निराश्रित छोड़ देता है तो उसे भी पितृदोष लगता है.

कैसे हो पितृदोष का शमन?

इसी क्रम में यदि कोई व्यक्ति सन्यास नहीं लेने के बावजूद विवाह कर वंश वृद्धि नहीं करता है तो उसे भी पितृदोष का भागी माना गया है. अब सवाल उठता है कि यदि किसी को पितृदोष लग ही गया तो उसका शमन कैसे हो. इसका जवाब अलग अलग ग्रंथों में अलग अलग तरीके से दिया गया है. श्रीमद भागवत में प्रसंग आता है कि यदि कोई व्यक्ति अपने माता पिता का किसी भी रूप में अपमान करता है तो उसके पाप का निवारण संभव ही नहीं. गरुड़ पुराण के मुताबिक इस तरह का अपराध करने वाले व्यक्ति के पितर नाराज हो जाते हैं और उसका पिंडदान भी स्वीकार नहीं करते. हालांकि गया तीर्थ में ऐसे व्यक्ति के द्वारा भी पिंडदान करने का प्रावधान किया गया है. गरुड़ पुराण के मुताबिक पिंडदान से पितर प्रसन्न होते हैं तो उसके सारे अपराध माफ कर देते हैं. इसके बाद पितृदोष की वजह से जीवन में आने वाली परेशानियों का भी निवारण हो जाता है.

कैसे पहचाने पितृदोष

वैसे तो सबको पता ही होता है कि किसने अपने माता पिता की सेवा नहीं की है, इसलिए उसे पितृदोष के लक्षण बताने की जरूरत नहीं होती. बावजूद इसके, पौराणिक ग्रंथों में पितृदोष के कई लक्षण बताए गए हैं. इन ग्रंथों के मुताबिक यदि कुंडली में संतान नहीं होता तो संतान पैदा ही नहीं होती. अब यदि संतान पैदा हो जाए और बीमार रहने लगे, लगातार इलाज के बावजूद सेहत में कोई खास सुधार ना हो, घर में आए दिन कोई ना कोई संकट आता ही रहे, रोजी रोजगार में बरकत ना हो, घर में लक्ष्मी आकर भी ना ठहरे और आए दिन सपने में पितरों के दर्शन हों तो इसकी वजह पितृदोष हो सकता है.

अगला लेख