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Khairagarh Maa Durga Mandir: ये है मां दुर्गा का अनोखा मंदिर, मनोकामना पूरी होने पर दी जाती है बकरे की बलि!

जमुई जिले के खैरागढ़ के निकट स्थित दुर्गा मंदिर में वर्ष 1838 से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की परंपरा चली आ रही है. इस मंदिर की स्थापना राजा रामनारायण सिंह ने की थी.

Khairagarh Maa Durga Mandir: ये है मां दुर्गा का अनोखा मंदिर, मनोकामना पूरी होने पर दी जाती है बकरे की बलि!
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 4 Oct 2024 7:30 PM IST

Khairagarh Maa Durga Mandir: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है, जो हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दौरान मां दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा के लिए 9 दिनों तक धरती पर आती हैं. इसी बीच हम एक खास मंदिर के बारे में बताने वाले हैं जहां सालों से मां दुर्गा की पूजा होती है.

जमुई जिले के खैरागढ़ के निकट स्थित दुर्गा मंदिर में वर्ष 1838 से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की परंपरा चली आ रही है. इस मंदिर की स्थापना राजा रामनारायण सिंह ने की थी. यह मंदिर अपनी चमत्कारी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, जहां श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं सच्चे मन से मांगी जाने पर पूरी होती हैं.

दंडवत देने की अनोखी परंपरा

मंदिर में शारदीय नवरात्र के दौरान कलश स्थापना से लेकर नवमी तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए दंडवत देते हैं. इस प्रक्रिया के तहत श्रद्धालु रानी तालाब से लेकर मंदिर तक और फिर मंदिर से गढ़ के भीतर स्थित गहवर तक दंडवत यात्रा करते हैं. इस परंपरा का पालन हर वर्ष हजारों लोग करते हैं, विशेषकर शारदीय नवरात्र के दिनों में.

भव्य मेले का आयोजन

नवरात्रि के दौरान इस मंदिर के आसपास एक भव्य मेला भी आयोजित किया जाता है, जिसमें अष्टमी और नवमी के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. अष्टमी के दिन सुहागवती महिलाएं मां दुर्गा को खोइछा अर्पित करती हैं, जबकि नवमी के दिन बलि चढ़ाने की परंपरा है. कई श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने पर बकरे की बलि चढ़ाते हैं.

पूजा की तैयारियां और कार्यक्रम

मां दुर्गा शांति पूजा समिति खैरा द्वारा इस वर्ष भी पूजा की भव्य तैयारी की जा रही है. 9 अक्टूबर को सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा के साथ बेलभरनी पूजा का आयोजन होगा और 10 अक्टूबर को महाअष्टमी के दिन मंदिर का पट खुल जाएगा. नवमी के दिन बलि चढ़ाने की परंपरा चलेगी, जो दोपहर तक जारी रहेगी. 12 अक्टूबर को हवन और विसर्जन के साथ शारदीय नवरात्र का समापन होगा.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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