Diwali 2024: भगवान राम ही नहीं, श्रीकृष्ण से भी जुड़ा है दिवाली का अनसुना रिश्ता! जानें इस पावन पर्व का छिपा राज
हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को दीपों का महापर्व दिवाली मनाया जाता है, जिसे दीपावली भी कहा जाता है. इस साल दिवाली 31 अक्टूबर और 1 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी. दिवाली के दिन घरों में घी के दीपक जलाकर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस दिन को प्रकाश और खुशियों का पर्व माना जाता है, जब हर घर जगमग रोशनी से नहा उठता है.

Diwali 2024: हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को दीपों का महापर्व दिवाली मनाया जाता है, जिसे दीपावली भी कहा जाता है. इस साल दिवाली 31 अक्टूबर और 1 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी. दिवाली के दिन घरों में घी के दीपक जलाकर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस दिन को प्रकाश और खुशियों का पर्व माना जाता है, जब हर घर जगमग रोशनी से नहा उठता है.
भगवान राम का अयोध्या में स्वागत
दिवाली का मुख्य संदर्भ भगवान राम के 14 साल के वनवास की समाप्ति से जुड़ा है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण का वध कर माता सीता को वापस लाने के बाद, भगवान राम, लक्ष्मण और सीता जब अयोध्या लौटे, तो उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए थे. तब से कार्तिक अमावस्या पर दीप जलाने और दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हुई.
श्रीकृष्ण और दिवाली का अनोखा संबंध
दिवाली का भगवान श्रीकृष्ण से भी गहरा रिश्ता है. पौराणिक कथा के अनुसार, दिवाली के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था. नरकासुर ने 16,000 राजकुमारियों को बंधक बना रखा था, जिन्हें श्रीकृष्ण और सत्यभामा ने उसकी कैद से मुक्त कराया। इस विजय को भी दिवाली के पर्व से जोड़ा जाता है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है.
दिवाली का सांस्कृतिक महत्व
दिवाली न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसे सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी विशेष पर्व माना जाता है. इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, घरों को दीपों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते हैं और आतिशबाजी करते है. इसके साथ ही मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान भी होता है, जिससे रिश्तों में मिठास बनी रहती है.
दिवाली का पर्व न सिर्फ भगवान राम की अयोध्या वापसी से जुड़ा है, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की नरकासुर पर विजय से भी इसका गहरा संबंध है. इस साल दिवाली की धूमधाम 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को रहेगी, जब पूरा देश रोशनी से जगमगा उठेगा.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.