कैसे होता है सिखों में अंतिम संस्कार?
सिख धर्म में भी अंतिम संस्कार किया जाता है, क्योंकि यह इस विश्वास के अनुरूप है कि भौतिक शरीर अस्थायी है, जबकि आत्मा शाश्वत है. हिंदू धर्म की तरह ही सिख भी पुनर्जन्म और कर्म में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि जीवन का उद्देश्य ध्यान और गुरुओं की शिक्षाओं के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करना है.

मनमोहन सिंह भारतीय राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे. उन्होंने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधान मंत्री के रूप में काम किया. वह जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी के बाद चौथे सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री थे. 27 दिसबंर को मनमोहन सिंह ने अपनी अंतिम सांसें ली थी.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 28 दिसंबर के दिन निगम बोध घाट में अंतिम संस्कार किया गया. उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदा किया गया. मनमोहन सिंह सिख धर्म से तालुक्क रखते थे. इसलिए उनका अंतिम संस्कार भी सिख परंपरा के मुताबिक ही किया गया. ऐसे में चलिए जानते हैं सिख धर्म में अंतिम संस्कार कैसे होता है?
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कैसे किया जाता है अंतिम संस्कार?
सिख धर्म में अंतिम संस्कार से पहले मृतक के शरीर को नहलाया जाता है. इसके बाद केश, कंघा, कृपाण, कटार और कड़ा से सजाया जाता है. ये 5 चीजें सिख धर्म में बेहद अहम मानी जाती हैं. इसके बाद घरवाले वाहे गुरू का जाप कर मृतक को श्मशान लेकर जाते हैं.
कौन हो सकता है अंतिम संस्कार में शामिल?
सिख धर्म की स्थापना 15वीं शताब्दी में हुई थी. यह धर्म जीवन और मृत्यु के चक्र के बारे में दृढ़ विश्वास रखता है. सिख धर्म में भी अंतिम संस्कार किया जाता है. हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ चीजें अलग होती हैं. जहां हिंदू धर्म में महिलाएं शमशान घाट नहीं जाती हैं, लेकिन सिख धर्म में ऐसा नहीं होता है. यहां महिलाएं अंतिम संस्कार का हिस्सा होती हैं.
की जाती है अरदास
सिख धर्म में मृत्यु के बाद अगले 10 दिन तक धार्मिक काम किए जाते हैं. शमशान से वापस लौटने के बाद सभी लोग स्नान करते हैं. इसके बाद शाम के दौरान अरदास की जाती है. इस दौरान गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है. यह पाठ 10 दिन तक होता है. जहां पाठ में मौजूद लोगों को कड़हा प्रसाद दिया जाता है. दाह संस्कार के बाद राख को इकट्ठा कर कीरतपुर साहिब में बहा दिया जाता है.
सिख धर्म के बारे में जानें
सिख धर्म के पहले गुरु 'गुरु नानक' थे. उनके बाद नौ सिख गुरु बनें. दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, जो सिख धर्म का केंद्रीय धार्मिक ग्रंथ है. इससे मानव गुरुओं की परंपरा समाप्त हो गई. सिख गुरु ग्रंथ साहिब को 11वां और हमेशा जीवित रहने वाला गुरु मानते हैं.