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Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा को क्यों कहते हैं त्रिपुरारी पूर्णिमा? भगवान शिव से जुड़ा है दिलचस्प कनेक्शन

हिंदी कैलेंडर के अनुसार, दिवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. यह पर्व धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और कई लोग इसे मोक्ष प्राप्ति का दिन मानते हैं. इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है, जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है.

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा को क्यों कहते हैं त्रिपुरारी पूर्णिमा? भगवान शिव से जुड़ा है दिलचस्प कनेक्शन
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( Image Source:  AI )
स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 11 Dec 2025 1:11 PM IST

Kartik Purnima 2024: हिंदी कैलेंडर के अनुसार, दिवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. यह पर्व धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और कई लोग इसे मोक्ष प्राप्ति का दिन मानते हैं. इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है, जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है.

त्रिपुरारी पूर्णिमा क्यों कहते हैं कार्तिक पूर्णिमा को?

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा कहा जाता है और इसके पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा है. शिवपुराण के अनुसार, तारकासुर नामक राक्षस के तीन पुत्र थे, जिन्होंने भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के हाथों अपने पिता का वध होते देखा. इन राक्षसों ने अपनी मौत का बदला लेने के लिए घोर तपस्या की और ब्रह्माजी से अमर होने का वरदान मांगा.

ब्रह्माजी ने इन दैत्यों के लिए तीन अद्भुत नगर बनाए एक सोने का, एक चांदी का और एक लोहे का. इन नगरों को लेकर दैत्यों ने एक शर्त रखी कि तीनों नगरों को एक साथ नष्ट करने वाला देवता ही हमारी मृत्यु का कारण बनेगा.

भगवान शिव ने इन नगरों को नष्ट करने के लिए देवताओं से सहायता ली और भगवान शिव के रथ में विशेष घोड़े, चंद्रमा और सूर्य के पहिए और भगवान विष्णु को बाण बना दिया. जैसे ही तीन नगर एक सीध में आए, भगवान शिव ने अपना दिव्य बाण चलाया और त्रिपुरों का संहार कर दिया. यही कारण है कि भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जाता है और इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है.

कब मनाई जाएगी कार्तिक पूर्णिमा 2024?

इस साल कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन विशेष पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है, जो पुण्य और मोक्ष का कारण बनता है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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