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Kartik Amavasya 2024: कब है कार्तिक अमावस्या? जानें शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व

हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को कार्तिक अमावस्या का पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि का प्रारंभ 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से हो रहा है और इसका समापन 1 नवंबर 2024 की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा. इस प्रकार, कार्तिक अमावस्या का व्रत और स्नान-दान के कार्य 1 नवंबर को किये जाएंगे.

Kartik Amavasya 2024: कब है कार्तिक अमावस्या? जानें  शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 26 Oct 2024 8:40 PM

Kartik Amavasya 2024: हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को कार्तिक अमावस्या का पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि का प्रारंभ 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से हो रहा है और इसका समापन 1 नवंबर 2024 की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा. इस प्रकार, कार्तिक अमावस्या का व्रत और स्नान-दान के कार्य 1 नवंबर को किये जाएंगे.

शुभ मुहूर्त और योग

कर्मकांड और पूजा-पाठ के लिए इस दिन का विशेष महत्व है. ज्योतिष के अनुसार, कार्तिक अमावस्या पर इस बार प्रीति और आयुष्मान जैसे दो शुभ योग बन रहे हैं, जो पूरे दिन का महत्व और भी बढ़ा देते हैं. प्रीति योग सूर्योदय से लेकर सुबह 10:41 बजे तक रहेगा और इसके बाद पूर्ण रात्रि तक आयुष्मान योग का प्रभाव रहेगा. अमावस्या पर अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:39 बजे से 12:23 बजे तक का है, जो विशेष रूप से पूजा और तर्पण के लिए शुभ माना गया है.

स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. यदि आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं, तो घर के स्नान के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करने से भी शुभ फल प्राप्त होता है. स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 10:41 बजे तक माना गया है. इस दौरान किए गए दान से व्यक्ति को पुण्य और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.

पितरों की पूजा और तर्पण का समय

कार्तिक अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करना अत्यधिक लाभकारी माना गया है. पंचांग के अनुसार, इस दिन पितरों की पूजा का समय सुबह 11:30 बजे से लेकर दोपहर 3:30 बजे तक का है. इस दौरान पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध, दान, ब्राह्मण भोजन, और पंचबलि कर्म जैसे कार्य करने से पितृ दोष का निवारण होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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