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Kaal Bhairav Jayanti 2024: शिव के रौद्र रूप की पूजा से मिलती है कष्टों से मुक्ति, पढ़ें कालाष्टमी व्रत कथा

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है. इस साल यह पावन दिन 22 नवंबर 2024, शुक्रवार को है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव का पूजन किया जाता है.

Kaal Bhairav Jayanti 2024: शिव के रौद्र रूप की पूजा से मिलती है कष्टों से मुक्ति, पढ़ें कालाष्टमी व्रत कथा
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 21 Nov 2024 5:51 PM

Kaal Bhairav Jayanti 2024: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है. इस साल यह पावन दिन 22 नवंबर 2024, शुक्रवार को है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव का पूजन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव की पूजा से जीवन के कष्ट समाप्त होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इस दिन व्रत करने और कथा सुनने का विशेष महत्व है.

काल भैरव की उत्पत्ति की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ. देवताओं की एक सभा बुलाई गई, जिसमें तीनों से यह पूछा गया कि इनमें सबसे श्रेष्ठ कौन है. भगवान विष्णु और शिव ने विवाद को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव को अपशब्द कह दिए.

इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए, और उनके क्रोध से काल भैरव की उत्पत्ति हुई. काल भैरव का वाहन काला कुत्ता है और इनके हाथ में दंड है. इन्हें दंडाधिपति और महाकालेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. काल भैरव के इस रूप को देखकर सभी देवता भयभीत हो गए.

व्रत और पूजन की विधि

काल भैरव जयंती पर भक्त व्रत रखते हैं और भगवान काल भैरव की विधिवत पूजा करते हैं. उन्हें सरसों का तेल, काले तिल, नारियल और मिठाई अर्पित की जाती है. इस दिन काले कुत्तों को भोजन कराने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.

काल भैरव जयंती का व्रत और पूजन जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सुख-समृद्धि प्रदान करता है. इस दिन व्रत कथा सुनना व्रत को पूर्णता प्रदान करता है. भोलेनाथ के इस रूप की कृपा पाने के लिए श्रद्धा और भक्ति से पूजा करना चाहिए.


डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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