कार्तिक मास में तुलसी पूजा के दौरान ये 5 गलतियां कर लीं तो नहीं मिलेगा पुण्य, बन सकता है परेशानी की वजह
मान्यता है कि इस महीने तुलसी की आराधना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है, पापों का नाश होता है और परिवार पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. यही कारण है कि कार्तिक मास में लगभग हर घर में तुलसी पूजन, दीपदान और प्रभु स्मरण का पावन माहौल बना रहता है. लेकिन शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि अगर तुलसी पूजा के दौरान नियमों की अनदेखी की जाए या अनजाने में गलतियां हो जाएं, तो पूजा का फल नहीं मिलता

हिंदू धर्म में कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी महीना माना गया है. इस महीने में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष रूप से उपासना की जाती है. इसी मास में तुलसी पूजन और विवाह का भी विशेष विधान है.
तुलसी को लक्ष्मी का ही एक रूप माना गया है और भगवान विष्णु की अति प्रिय हैं. इसलिए कार्तिक मास में तुलसी पूजन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है.
तुलसी पूजन का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी देवी का जन्म कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी एकादशी) के दिन हुआ था. इसीलिए इस दिन तुलसी पूजन और तुलसी विवाह का विशेष आयोजन किया जाता है. तुलसी और भगवान विष्णु का विवाह देवउठनी एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक पूर्णिमा तक किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि तुलसी पूजन और विवाह के द्वारा भगवान विष्णु जाग्रत होकर भक्तों के सभी कार्य सिद्ध करते हैं.
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क्या है मान्यता?
मान्यता है, जहां तुलसी का पौधा होता है, वहां नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती. तुलसी के निकट दीप जलाने और आरती करने से वातावरण में पवित्रता और सकारात्मकता फैलती है. कार्तिक मास में तुलसी की नियमित पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और शांति का वास होता है. साथ ही यह व्रत और पूजन पति-पत्नी के संबंधों में प्रेम, निष्ठा और स्थायित्व लाने वाला माना गया है.
तुलसी पूजन के नियम और विधि
कार्तिक मास में प्रतिदिन प्रातः स्नान के बाद तुलसी को जल अर्पित करना, दीपक जलाना और तुलसी स्तोत्र का पाठ करना शुभ होता है. तुलसी पूजन के समय भगवान विष्णु के साथ तुलसी की आराधना करनी चाहिए. तुलसी में दूध, हल्दी और कुमकुम चढ़ाना शुभ माना जाता है.
इन नियमों का पालन करें
वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी का पौधा घर के उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखना अत्यंत शुभ माना जाता है. यह दिशा सूर्य की ऊर्जा और सकारात्मक कंपन का केंद्र होती है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. तुलसी को कभी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे ऊर्जा का संतुलन बिगड़ता है. तुलसी के पास साफ-सफाई बनाए रखना और प्रतिदिन जल चढ़ाना चाहिए. संध्या के समय दीप जलाने से घर में धन, सौभाग्य और स्वास्थ्य की वृद्धि होती है. तुलसी को कभी लोहे या स्टील के पात्र में जल नहीं देना चाहिए. वहीं रविवार, संक्रांति एकादशी और द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना वर्जित माना गया है.