इस बच्चे ने यमराज को दिया बड़ा सबक, सवालों के तूफान में फंसे यमराज के छूटे पसीने!
प्राचीन भारतीय ग्रंथ कठोपनिषद में नचिकेता और यमराज के बीच का संवाद, ज्ञान और साहस का प्रतीक है. नचिकेता एक ऐसा बालक था जिसने अपने सवालों से यमराज को भी चुनौती दे दी थी.

Yamraj aur Nachiketa ki Kahani: प्राचीन भारतीय ग्रंथ कठोपनिषद में नचिकेता और यमराज के बीच का संवाद, ज्ञान और साहस का प्रतीक है. नचिकेता एक ऐसा बालक था जिसने अपने सवालों से यमराज को भी चुनौती दे दी थी.
पिता ने दान में दे दिया पुत्र
नचिकेता के पिता ऋषि वाजश्रवा ने एक यज्ञ में जरूरतमंदों को दान देने का संकल्प लिया. लेकिन उन्होंने बूढ़ी गायों का दान कर दिया, जो नचिकेता को उचित नहीं लगा. उसने अपने पिता से पूछा कि क्या वह भी उसी प्रकार से दान में दिया जाएगा. पिता ने क्रोध में नचिकेता को यमराज को दान देने का कथन कर दिया. यह सुनकर नचिकेता यमलोक की ओर चल पड़ा.
यमराज का तीन दिनों तक इंतजार
यमलोक पहुंचने पर नचिकेता को पता चला कि यमराज वहां नहीं हैं। उसने तीन दिनों तक यमराज का इंतजार किया. जब यमराज लौटे, तो नचिकेता के तप और धैर्य को देखकर प्रभावित हुए और उसे तीन वरदान मांगने का प्रस्ताव दिया.
तीन वरदान और यमराज की परीक्षा
नचिकेता ने पहले वरदान में अपने पिता के क्रोध को शांत करने की इच्छा जताई, जिसे यमराज ने स्वीकार कर लिया. दूसरे वरदान में नचिकेता ने अग्नि विद्या का ज्ञान मांगा ताकि वह लोगों का भला कर सके. तीसरे वरदान में उसने मृत्यु का रहस्य जानने की इच्छा व्यक्त की. नचिकेता का यह सवाल यमराज के लिए भी कठिन था, क्योंकि मृत्यु का रहस्य गूढ़ और गंभीर था.
मृत्यु का रहस्य जानने का आग्रह
यमराज ने नचिकेता से दूसरा वरदान मांगने का आग्रह किया, लेकिन नचिकेताने अपनी जिज्ञासा पर डटे रहते हुए मृत्यु का रहस्य जानने का आग्रह दोहराया. यमराज ने अंततः उसे मृत्यु विषय पर अध्ययन करने की सलाह देकर धरती पर भेज दिया. नचिकेता ने धरती पर लौटकर गहन अध्ययन किया और अपनी ज्ञान प्राप्ति से लोगों का मार्गदर्शन किया.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.