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Chhath Puja 2024: तीसरे दिन व्रती देती हैं डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य, जानिए छठ के इस दिन का महत्व

लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन व्रती डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे. बुधवार को खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हुआ, जिसमें व्रती महिलाएं पूरी श्रद्धा के साथ सूर्यदेव और छठी मैया की उपासना कर रही हैं. इस दिन को लेकर घाटों पर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, जहां व्रती महिलाएं कमर तक पानी में खड़े होकर संध्या अर्घ्य देंगी.

Chhath Puja 2024: तीसरे दिन व्रती देती हैं डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य, जानिए छठ के इस दिन का महत्व
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 7 Nov 2024 8:27 PM IST

Chhath Puja 2024: लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन व्रती डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे. बुधवार को खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हुआ, जिसमें व्रती महिलाएं पूरी श्रद्धा के साथ सूर्यदेव और छठी मैया की उपासना कर रही हैं. इस दिन को लेकर घाटों पर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, जहां व्रती महिलाएं कमर तक पानी में खड़े होकर संध्या अर्घ्य देंगी. इस विशेष अर्घ्य से जीवन में सौभाग्य और खुशहाली की कामना की जाती है.

खरना से शुरू हुआ 36 घंटे का व्रत

छठ महापर्व के दूसरे दिन यानी खरना पर व्रती ने विशेष प्रसाद जैसे गुड़ की खीर, ठेकुआ और लड्डू का सेवन कर व्रत की शुरुआत की. इस दौरान मिट्टी के चूल्हे पर पकाए गए प्रसाद में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. परिवार के सभी लोग व्रती का आशीर्वाद लेते हैं, और सुहागन महिलाएं उनसे सिंदूर लगवाती हैं.खरना के साथ ही व्रत का कठोर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.

आज संध्या अर्घ्य के लिए घाटों पर उमड़ी भीड़

छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस अर्घ्य से समाज में जात-पात और अमीर-गरीब का भेद समाप्त हो जाता है. यह पर्व सभी को एकजुट करता है और भक्तिभाव से भर देता है. आज शाम सूर्यास्त का समय 5:48 बजे है, और व्रती इस समय घाटों पर एकत्र होकर सूर्यदेव को पहला अर्घ्य अर्पित करेंगे.

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व

कार्तिक शुक्ल षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. मान्यता है कि सूर्यास्त के समय सूर्य अपनी पत्नी प्रत्युषा के साथ होते हैं और इस समय अर्घ्य देने से जीवन में सभी समस्याओं का अंत होता है और सौभाग्य में वृद्धि होती है. अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है, जो जीवन में नई ऊर्जा और वंश की वृद्धि का प्रतीक है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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