1 महीने बाद हिमाचल के गांवों में मनाई जाती है 'बूढ़ी दिवाली', जानें इतिहास और अनोखी परंपरा
दुनिया में दिवाली का जश्न अब थम चुका है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में इसका उल्लास अभी बाकी है. सिरमौर के गिरिपार इलाके, शिमला के कुछ गांवों और कुल्लू के निरमंड में दिवाली एक महीने देरी से मनाई जाती है, जिसे ‘बूढ़ी दिवाली’ कहा जाता है.

Diwali 2024: दुनिया में दिवाली का जश्न अब थम चुका है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में इसका उल्लास अभी बाकी है. सिरमौर के गिरिपार इलाके, शिमला के कुछ गांवों और कुल्लू के निरमंड में दिवाली एक महीने देरी से मनाई जाती है, जिसे ‘बूढ़ी दिवाली’ कहा जाता है. इस साल यह उत्सव 4 दिसंबर को मनाया जाएगा और निरमंड में इसके ऐतिहासिक मेले का आयोजन 1 से 4 दिसंबर तक होगा.
बूढ़ी दिवाली का अनोखा इतिहास
ऐसी मान्यता है कि इन दूरदराज के इलाकों में भगवान राम के अयोध्या लौटने की खबर एक महीने की देरी से पहुंची थी. इस प्रसन्नता को व्यक्त करने के लिए स्थानीय लोगों ने चीड़ और देवदार की मशालें जलाकर रोशनी की और नृत्य-गान किया. इसी घटना से प्रेरित होकर यहां दिवाली के एक महीने बाद ‘बूढ़ी दिवाली’ मनाई जाती है और गिरिपार क्षेत्र में इसे ‘मशराली’ के नाम से जाना जाता है.
खास नृत्य और परंपराएं
बूढ़ी दिवाली के दौरान यहां की पारंपरिक नाटियां, विरह गीत और हुड़क नृत्य आकर्षण का केंद्र होते हैं. कुछ गांवों में विशेष ‘बढ़ेचू नृत्य’ की परंपरा है, जबकि आधी रात में जलती मशालों के साथ ‘बुड़ियात’ नृत्य किया जाता है. इस दौरान लोग मूड़ा, शाकुली, चिड़वा और अखरोट जैसे सूखे पकवान बांटकर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं.
सांस्कृतिक विरासत की झलक
बूढ़ी दिवाली में तीन से पांच दिन तक उत्सव का माहौल रहता है. हाथों में मशालें लेकर गांव के लोग इस त्योहार को मनाते हैं. पारंपरिक गीत, नृत्य और पकवानों से सजी यह दिवाली पुराने रीति-रिवाजों और संस्कृति का प्रतीक बन चुकी है. इस दिन हर घर में खास पकवान बनाए जाते हैं और बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस पर्व में शामिल होते हैं.
पौराणिक कथा
बूढ़ी दिवाली की जड़ें सतयुग तक जाती हैं. मान्यता है कि इस दिन देवताओं ने महर्षि दधीची की अस्थियों से बने अस्त्र से राक्षस वृत्तासुर का अंत किया था.इस विजय को मनाने के लिए देवताओं ने मशालें जलाकर उत्सव मनाया, जो आज भी हिमाचल के इन गांवों में जीवित है.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.