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Pitru Paksha 2024 : 18 सितंबर से शुरू होंगे श्राद्ध 2 अक्टूबर तक होंगे समाप्त, चंद्र और सूर्य ग्रहण का रहेगा साया

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के 15 दिन बहुत जरूरी माने जाते हैं. इन दिनों में पितर या पूर्वज पितृलोक से मृत्युलोक में आते हैं, और उनके सम्मान में परिवारजन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान जैसे अनुष्ठान करते हैं ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके. यह अवधि भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होती है और अश्विन अमावस्या पर समाप्त होती है.

Pitru Paksha 2024 : 18 सितंबर से शुरू होंगे श्राद्ध 2 अक्टूबर तक होंगे समाप्त, चंद्र और सूर्य ग्रहण का रहेगा साया
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( Image Source:  Sora AI )
संस्कृति जयपुरिया
संस्कृति जयपुरिया

Updated on: 21 Dec 2025 9:53 PM IST

नई दिल्ली : हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के 15 दिन बहुत जरूरी माने जाते हैं. इन दिनों में पितर या पूर्वज पितृलोक से मृत्युलोक में आते हैं, और उनके सम्मान में परिवारजन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान जैसे अनुष्ठान करते हैं ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके. यह अवधि भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होती है और अश्विन अमावस्या पर समाप्त होती है. पितृ अमावस्या के दिन पितर पितृलोक वापस लौट जाते हैं, इसलिए इस दिन उन्हें विदाई दी जाती है. इसे सर्व पितृ अमावस्या या महालया भी कहते है.

इस साल, 2024 में, पितृ पक्ष 18 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को समाप्त होगा. इस बार की विशेष बात यह है कि पितृ पक्ष की शुरुआत और अंत, दोनों ही दिन ग्रहण हो रहा है, जो हिंदू परंपरा में शुभ नहीं माना जाता है. ग्रहण के दौरान कोई भी धार्मिक अनुष्ठान या पूजा नहीं की जाती.

चंद्र ग्रहण से होगा पितृ पक्ष का आरंभ

2024 में पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण से हो रही है. यह साल का दूसरा और आखिरि चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत के समय के हिसाब से सुबह 6:12 बजे शुरू होगा और 10:17 बजे खत्म होगा. हालांकि यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं होगा, इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा. फिर भी, श्राद्ध का अनुष्ठान चंद्र ग्रहण के समाप्त होने के बाद ही करना उचित माना जाएगा.

पितृ पक्ष सूर्य ग्रहण के साथ होंगे खत्म

पितृ पक्ष का आखिरी दिन, 2 अक्टूबर 2024, सूर्य ग्रहण के साथ समाप्त होगा. इस दिन सूर्य ग्रहण का लगना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इसी दिन पितरों को विदाई दी जाती है. भारतीय समयानुसार, यह सूर्य ग्रहण रात 9:13 बजे से शुरू होकर 3:17 बजे तक चलेगा. हालांकि, यह ग्रहण भी भारत में दृश्य नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा और श्राद्ध तर्पण आदि अनुष्ठान बिना किसी बाधा के किए जा सकते हैं.

15 दिनों में दो ग्रहण लगना अशुभ

ज्योतिष के अनुसार, 15 दिनों के भीतर चंद्र और सूर्य ग्रहण दोनों का लगना अशुभ होता है. इसे नकारात्मक प्रभावों का संकेत माना जाता है, इसलिए इस अवधि के दौरान सतर्क रहना चाहिए. पितृ पक्ष पर ग्रहण का साया भी शुभ नहीं माना जाएगा, इसलिए विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होगी.

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