एक महीने बाद अलवर लौटा टाइगर 'एसटी 2303', जखोपुर में हुआ स्पॉट
पिछले महीने सरिस्का के बफरजोन से निकलकर मुंडावर होते हुए हरियाणा और फिर झाबुआ के जंगल में चला गया था. अब करीब एक महीने बार यह टाइगर वापस लौटा है.

राजस्थान में अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व से निकल कर हरियाणा में भटक रहा टाइगर एसटी 2303 अलवर लौट आया है. रविवार को उसकी लोकेशन जखोपुर के आसपास देखी गई है. एक दुकानदार ने भी उसे सड़क पार करते देखा है. सूचना मिलने पर टाइगर रिजर्व, वन विभाग और पुलिस की टीमें जखोपुर पहुंची है. बताया जा रहा है कि टाइगर इस समय जखोपुर गांव के बाहर एक बाजरे के खेत में छिपा है. इसलिए खेत के चारो ओर सरकारी गाड़िया लगाकर इस टाइगर की घेराबंदी की जा रही है. इसी के साथ टाइगर को ट्रंकुलाइज करने के लिए विशेषज्ञों की भी टीम भी बुला ली गई है.
यह टाइगर एसटी 2303 पिछले महीने 14-15 अगस्त को सरिस्का से बाहर निकल आया था. उसके बाद यह घूमते हुए बफर जोन को पार करते हुए मुंडावर के दरबार पुरा पहुंचा और यहां से हरियाणा में घुसकर झाबुआ के जंगलों में यला गया था. करीब एक महीने तक झाबुआ के जंगल में रहने के बाद इस टाइगर ने अलवर वापसी की है. सरिस्का जंगल से निकलने के बाद सरिस्का टाइगर रिजर्व के अधिकारी लगातार इस बाघ को ट्रैक कर रहे थे. दो दिन पहले अचानक से इस बाघ ने झाबुआ जंगल से भी वापसी की राह पकड़ ली और घूमते हुए जखोपुर पहुंच गया. यहां उसे सड़क क्रास करते हुए एक दुकानदार ने देखकर पुलिस और वन विभाग को सूचना दी.
बाजरे के खेत में बैठा है बाघ
इसके बाद मौके पर पहुंचे सरिस्का टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने उसके पगमार्क का मिलने के बाद पीछे करते हुए गांव के बाहर एक बाजरे के खेत तक पहुंचे हैं. सरिस्का टाइगर रिजर्व के रेंजर शंकर सिंह शेखावत खुद मौके पर हैं. चूंकि उनके पास बफर जोन के रेंजर का भी चार्ज है और वह इस टाइगर से भलीभांति परिचित भी हैं. इसलिए वह विशेषज्ञों की मदद से इस टाईगर को काबू करने की कोशिशें कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस बाघ को ट्रंकुलाइज करने के लिए एक्सपर्ट डॉक्टरों तीन बार प्रयास भी किया है. हालांकि अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली है.ऐसे में चौथी बार उसकी सटीक लोकेशन लेकर ऑपरेशन को अंजाम देने की तैयारी है.