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मणिपुर में 5 दिनों के लिए इंटरनेट बंद, हिंसा और अब छात्र आंदोलन, जानिए कैसे झेल रहे हैं लोग अशांति?

Manipur Violence: मणिपुर सरकार ने बढ़ते तनाव और चल रहे छात्र विरोध प्रदर्शनों के बीच पूरे राज्य में इंटरनेट सेवाएं पांच दिनों के लिए बंद कर दी गई है. राज्य भर में लोग अशांति में जी रहे हैं.

मणिपुर में 5 दिनों के लिए इंटरनेट बंद, हिंसा और अब छात्र आंदोलन, जानिए कैसे झेल रहे हैं लोग अशांति?
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सचिन सिंह
by: सचिन सिंह

Updated on: 11 Sept 2024 3:56 PM IST

Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. राज्य में अशांति ने लोगों को जीना हराम कर दिया है. मणिपुर सरकार ने बढ़ते तनाव और छात्रों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पूरे राज्य में इंटरनेट सेवाएं पांच दिनों के लिए बंद कर दी हैं. गृह विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, इंटरनेट बंद 15 सितंबर तक जारी रहेगा.


छात्र कर रहे हैं शांति के लिए प्रदर्शन

सोमवार को इंफाल के ख्वाइरामबंद महिला बाजार में अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों की सैकड़ों छात्रों ने शिविर लगाए. छात्राएं हाल ही में हुए ड्रोन और मिसाइल हमलों के पीछे के लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रही हैं और राज्य की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता की रक्षा की मांग कर रही हैं. उन्होंने मंगलवार को बीटी रोड से राजभवन की ओर मार्च करने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस भवन के पास सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया.

छात्रों ने अमित शाह का फूंका पुतला

अधिकारियों ने बताया कि मणिपुर सरकार के डीजीपी और सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग को लेकर राजभवन की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे छात्रों और महिला प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान आंसू गैस के गोले दागे गए. मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी विरोध रैली निकाली और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पुतला भी फूंका.

मणिपुर सरकार ने छात्र विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर इंफाल पूर्व और पश्चिम जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है और थौबल में बीएनएसएस की धारा 163 (2) के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है. राज्य में हिंसा की ताजा लहर में कुल आठ लोग मारे गए और 12 से अधिक घायल हुए हैं. इस दौरान ड्रोन और मिसाइल हमले भी शामिल हैं.

पिछले साल से ही जल रहा है मणिपुर

पिछले साल मई 2023 से इम्फाल घाटी स्थित मैतेईस और समीपवर्ती पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं.

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