चाहिए अच्छी मेंटल हेल्थ, तो सबसे पहले सुधारें अपनी स्लीप क्वॉलिटी
सेहतमंद रहने के लिए सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक रूप से तंदुरुस्त रहना और भी जरूरी है।

सेहतमंद रहने के लिए सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक रूप से तंदुरुस्त रहना और भी जरूरी है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मेंटल हेल्थ की महत्ता और बढ़ गई है। मोबाइल फोन और गैजेट्स के इस्तेमाल ने हमारी मेंटल हेल्थ को खराब करने में बहुत योगदान दिया है। देर रात तक रील स्क्रॉल करना, मेल चेक करना, जैसी चीजों ने हमारे भीतर एंगजाइटी की समस्या को काफी बढ़ा दी है। इनसे न सिर्फ हमारी सहनशक्ति, हमारे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पर असर पड़ा है, बल्कि, हमारी नींद बुरी तरह प्रभावित हुई है।
क्या है दोनों का कनेक्शन?
यह पाया गया है कि लंबे समय तक नींद न आने की वजह से तनाव, चिंता और उदासी बढ़ती है। इसका समस्या-समाधान और निर्णय लेने जैसी कॉग्नेटिव प्रोसेस पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जो मानसिक स्वास्थ्य से समझौता करता है। अपर्याप्त नींद की आदतें एक खराब साइकिल की वजह बन सकती हैं, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं नींद की कमी को बढ़ा देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप नींद में खलल पड़ता है।
जानकार बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी है। जब हम सोते हैं, तो हमारे दिमाग के पास मेमोरी स्टोर करने, भावनाओं को प्रोसेस करने और ठीक होने का मौका होता है। नींद की कमी या खराब गुणवत्ता के कारण इन प्रक्रियाओं में बाधा आ सकती है, जिससे जलन, भावनात्मक अस्थिरता और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हो सकती है। इससे कई तरह की मानसिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
ऐसे में लोगों को इमोशनली स्ट्रॉन्ग और मूड रेगुलेशन का समर्थन करने के लिए रोजाना सात से नौ घंटे की नींद की जरूरत होती है। यह ब्रेन फंक्शनिंग में मदद करके, रोज के स्ट्रेस मैनेजमेंट में सुधार करके और सामान्य साइकोलॉजिलक वेल बींग में सुधार करके मेंटल हेल्थ में बढ़ावा देता है। इस प्रकार, मेंटल क्लेरिटी बनाए रखने और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना को कम करने के लिए नींद पूरी करना बेहद जरूरी है।
तो अगर आप भी देर रात तक मोबाइल चलाते हैं, तो इस आदत को तुरंत छोड़ दें और अपनी नींद में सुधार करने की पूरी कोशिश करें। सोने से पहले कुछ मिनट मेडिटेशन करने से इसमें काफी सुधार हो सकता है।