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बीटल्स क्यों आए थे भारत, ऋषिकेश में क्यों बनाया था फेमस म्यूजिक?

बीटल्स क्यों आए थे भारत, ऋषिकेश में क्यों बनाया था फेमस म्यूजिक?
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नवनीत कुमार
by: नवनीत कुमार

Updated on: 8 Sept 2024 6:48 PM IST

भारत की संस्कृति इतनी समृद्ध है कि देश और दुनिया के लोग इसे देखते ही खींचे चले आते हैं। यह कोई नई बात नहीं है कि धार्मिक नगरी जैसे वाराणसी, गया, गंगा सागर, हरिद्वार, प्रयागराज, मथुरा और ऋषिकेश में विदेशी सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है। लोग यहां धर्म, संस्कृति और योग की जानकारी लेने यहां आते हैं। उनमें से कुछ विदेशी यहां आकर बस जाते हैं और यहीं के होकर रह जाते हैं।

उत्तराखंड का ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है। यहां स्थापित मंदिर और घाट मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। मंदिर और घाटों के साथ ही यहां कई सारी प्राचीन गुफाएं भी है, जहां कई ऋषि मुनियों ने तपस्या की है। ये सभी गुफाएं ऋषिकेश के शोरगुल और भीड़ भाड़ से दूर एकांत में हैं। जहां लोग सुकून की तलाश में पहुंचते हैं।

60 के दशक में ऐसे ही विदेशी सिंगर्स का एक ग्रुप भारत में आया और ध्यान की खोज में ऋषिकेश के बीटल्स आश्रम में आया था। बीटल्स आश्रम नाम से प्रसिद्ध इस जगह को चौरासी कुटिया के नाम से भी जाना जाता है। 18 एकड़ भूमि में फैला बीटल्स आश्रम ऋषिकेश के गंगा नदी के किनारे बसे राजाजी नेशनल पार्क के अंदर स्थित है। साल 1961 में बनी इस चौरासी कुटिया में महर्षि महेश योगी द्वारा योग और ध्यान की शिक्षा दी जाती थी।

देश-विदेश से लोग यहां ध्यान करने के लिए पहुंचते थे। 60 के दशक का प्रसिद्ध बीटल्स बैंड ब्रिटेन से यहां ध्यान और शांति के लिए पहुंचा था। बीटल्स रॉक बैंड के जॉन लेनन, पॉल मैक कार्टनी, जॉर्ज हैरिसन और रिंगो स्टार, ये चारों 1968 में ऋषिकेश आकर महर्षि महेश योगी के इस आश्रम में रुके थे। यहां उन्होंने ध्यान की शिक्षा ली थी।

यही वजह है कि बीटल्स बैंड के प्रशंसक उनके नाम पर आज भी यहां आ रहे हैं। इस आश्रम में रहते हुए बीटल्स ने लगभग 40 गाने लिखे थे, जिन्हें बाद में उनके प्रसिद्ध एल्बम 'वाइट एल्बम' और 'ऐबे रोड' में शामिल किया गया। 2003 में यह इलाका वन विभाग के क्षेत्र में शामिल कर लिया गया, जिसे 2015 में सैलानियों के लिए खोला गया। बीटल्स आश्रम में जाने के लिए वन विभाग द्वारा भारतीयों से 150 रुपये और विदेशियों से 600 रुपये का शुल्क लिया जाता है।

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