Begin typing your search...

क्या है Guillain-Barre syndrome? पुणे में मिले 22 से ज्‍यादा मरीज, जानें कितना है खतरनाक

गुइलेन बैरे सिंड्रोम में ऑटोमैटिक नर्व्स पर असर पड़ता है. इसके कारण कई तरह की समस्या हो सकती है, क्योंकि ऑटोमैटिक नर्व्स सिस्टम बॉडी के उन ऑटोमैटिक फंक्शन को कंट्रोल करता है, जिनकी आपको जिंदा रहने के लिए जरूरत होती है. इसमें हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर शामिल है.

क्या है Guillain-Barre syndrome? पुणे में मिले 22 से ज्‍यादा मरीज, जानें कितना है खतरनाक
X
( Image Source:  Create By AI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 6 Nov 2025 2:33 PM IST

पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के 22 मामले सामने आए हैं. इस बीमारी के सामने आने के बाद नगर निगम अधिकारियों ने मरीजों का सर्वे किया. जहां पुणे नगर निगम के हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस बीमारी से प्रभावित लोगों के सैंपल टेस्ट के लिए आईसीएमआर-एनआईवी को भेज दिए हैं.

इस मामले में अधिकारियों ने कहा कि इनमें से अधिकांश मामले शहर के सिंहगढ़ रोड इलाके में पाए गए. गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक रेयर कंडीशन है, जो अचानक से नंबनेस और मसल्स की कमजोरी का कारण बनती है. इसके अलावा, अंगों में भी कमजोरी के लक्षण दिखते हैं. चलिए ऐसे में जानते हैं आखिर कितनी घातक है यह बीमारी.

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम?

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ स्थिति है, जो अचानक सुन्नता और मांसपेशियों की कमजोरी का कारण बनती है, जो आपके शरीर के अधिकांश हिस्सों को प्रभावित कर सकती है. ऐसा तब होता है जब आपका इम्यून सिस्टम असामान्य रूप से रिएक्ट करता है और पेरिफेरल नर्व्स नसों पर हमला करती है.

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण

अमेरिका में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और स्ट्रोक के नेशनल इंस्टिट्यूट के अनुसार गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षणों में शामिल हैं. कमजोरी, आंख की मांसपेशियों और दृष्टि में कठिनाई, निगलने, बोलने या चबाने में कठिनाई, हाथों और पैरों में चुभन या सुई चुभने जैसा दर्द और खासकर रात में गंभीर दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

12 से 30 साल के लोग प्रभावित

इस बीमारी से जूझ रहे अधिकांश संदिग्ध मरीजों की उम्र 12 से 30 साल के बीच है. वहीं, एक रोगी की उम्र 59 है, जिसका फिलहाल ट्रीटमेंट जारी है. इस मामले में डॉक्टर ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है. नगर निगम हेल्थ डिपार्टमेंट के हेड डॉ. नीना बोराडे ने कहा कि शहर के तीन से चार अस्पतालों में जीबीएस के संदिग्ध मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में संदिग्ध गिलियन-बैरे सिंड्रोम के मामलों की रिपोर्ट सामने आई है.

नहीं बनेगी महामारी का कारण

इस मामले की सही तरीक से जांच की जा रही है. साथ ही एक्सपर्ट पैनल भी बनाया गय है. यह बीमारी महामारी का कारण नहीं बनेगी. ट्रीटमेंट के साथ मरीज इस बीमारी से पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. इसके आगे उन्होंने कहा कि हमने एनआईवी के साइनटिस्ट और महामारी विज्ञानियों सहित एक्सपर्ट का एक पैनल बनाया है, मरीजों की निगरानी करेगा.

अगला लेख