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इनका तो काम है ड्रामा... ऐसा कहने वाले मर्द जान लें महिलाओं के 'चिकचिक करने का साइंटिफिक कारण

अक्सर पुरुषों को कहते हुए सुना है कि इनका तो काम है ड्रामा. औरतों को बस चिकचिक करती आती है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे साइंटिफिक कारण है. महिलाओं का ब्रेन इमोशन्स को आसानी से शब्दों में ढाल लेता है. इसलिए महिलाएं खासतौर पर लड़ाई के दौरान बोलती रहती हैं.

इनका तो काम है ड्रामा... ऐसा कहने वाले मर्द जान लें महिलाओं के चिकचिक करने का साइंटिफिक कारण
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( Image Source:  AI Perplexity )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 23 Aug 2025 4:32 PM IST

हर रिश्ते में कभी न कभी बहस, नाराजगी या मतभेद होते हैं. अक्सर देखा जाता है कि जब कोई विवाद होता है, तो महिलाएं तुरंत बात करना चाहती हैं, जबकि पुरुष चुप रहना या वहां से हट जाना पसंद करते हैं. इसे हम आमतौर पर 'ड्रामा' या 'चिकचिक' कहकर टाल देते हैं. लेकिन क्या हो अगर हम कहें कि यह सिर्फ इमोशनल रिएक्शन नहीं, बल्कि हमारे दिमाग की बायोलॉजिकल बनावट का नतीजा है?

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें ऑर्थोपेडिक सर्जन और हेल्थ एजुकेटर डॉ. मनन वोरा ने बताया कि कैसे स्ट्रेस के दौरान पुरुष और महिला का दिमाग बिल्कुल अलग तरह से रिएक्शन देता है. इस कारण से पुरुषों को हमेशा से लगता है कि महिलाएं ड्रामा करती हैं, तो चलिए जानते हैं इसका साइंटिफिक कारण.

स्ट्रेस में हार्मोन का खेल

स्ट्रेस के समय महिला और पुरुष के शरीर में अलग-अलग हार्मोन रिलीज़ होते हैं. महिलाओं में ऑक्सीटोसिन नाम का हार्मोन बढ़ता है, जो उन्हें बात करके जुड़ने और इमोशन्स को शेयर करने के लिए इंस्पायर करता है. वहीं, पुरुषों में कोर्टिसोल का लेवल बढ़ जाता है, जो उन्हें चुप रहकर या स्थिति से दूर हटकर टेंशन को मैनेज करने की प्रवृत्ति देता है.

इस हार्मोनल फर्क के कारण, जब कोई बहस होती है, तो महिला बात करना चाहती है और पुरुष सन्नाटा. यह मतभेद बहस को और उलझा देता है, जबकि दोनों के रिएक्शन उनके बायोलॉजिकल बिहेवियर का ही हिस्सा है.

भावनाओं को शब्दों में ढालने की ताकत

डॉ. वोरा बताते हैं कि महिलाओं का मस्तिष्क भावनाओं और शब्दों को तेज़ी से जोड़ने में सक्षम होता है. वे अपने अंदर उठ रही भावनाओं को जल्दी पहचान कर शब्दों में ढाल सकती हैं. यही वजह है कि महिलाएं किसी भी मुद्दे पर तुरंत बात करना चाहती हैं, जबकि पुरुष अक्सर पहले अपनी भावनाओं को समझने में ही वक्त लगा देते हैं. इसका यह मतलब नहीं कि पुरुष इमोशनलेस हैं, बल्कि वे अपनी फीलिंग्स को बताते में स्लो होते हैं. जब एक महिला कहती है, “मैं तुमसे कुछ कह रही हूं, सुनो”, तो वह सॉल्यूशन नहीं, सिर्फ सिंपथी चाहती है.

पुरानी बातों का बार-बार रिपीट करना

एक आम पुरुष सोच सकता है कि 'जो बात खत्म हो चुकी, वो फिर क्यों याद दिलाई जा रही है?' लेकिन डॉ. वोरा इसे इमोशनल मेमोरी से जोड़ते हैं. महिलाओं में किसी घटना से जुड़ी भावनाएं लंबे समय तक दिमाग में बनी रहती हैं. वे भले ही आगे बढ़ चुकी हों, लेकिन उस घटना का असर उनके भीतर जिंदा रहता है. इसलिए जब वे पुरानी बातों को दोबारा सामने लाती हैं, तो उसका मकसद ताना देना नहीं, बल्कि उस अधूरी संवेदना को शेयर करना होता है जिसे कभी समझा नहीं गया.

क्या है सॉल्यूशन?

इस बायोलॉजिकल और इमोशनस अंतर को समझने के बाद यह साफ होता है कि बहस में कोई 'सही' या 'गलत' नहीं होता है बल्कि जरूरी यह है कि हम अपने पार्टनर के रिएक्शन के पीछे के साइंटिफिक और इमोशनस कारणों को समझें. यदि पुरुष इस फर्क को समझकर उस पल बात करें, और महिलाएं पुरुषों को अपने रिएक्शन जाहिर करने का समय दें, तो अधिकांश टकराव आसानी से सुलझ सकते हैं.

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