बच्चों के ये व्यवहार बताते हैं उनकी मेंटल हेल्थ की हालत
बदलते समय के साथ आज के बच्चों का बचपन भी बदल चुका है। तेजी से बदलती तकनीक और सोच के एक तरफ फायदे हैं, तो साथ ही बहुत सारे नुकसान भी हैं।

बचपन हमारी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दौर होता है। हम आज भी अपनी बचपन की छोटी-छोटी बातों को याद करके भावुक हो जाते हैं। आज से कुछ साल पहले अगर कोई कहता है कि किसी बच्चे को स्ट्रेस है या वह डिप्रेशन का शिकार है, तो यह बहुत अटपटा लगता है। हालांकि, बदलते समय के साथ आज के बच्चों का बचपन भी बदल चुका है। तेजी से बदलती तकनीक और सोच के एक तरफ फायदे हैं, तो साथ ही बहुत सारे नुकसान भी हैं। बच्चे पहले जैसे अब नेचर के साथ समय व्यतीत नहीं करते, वे बुक रीडिंग नहीं करते और न ही बहुत सोशल होते हैं। ऐसे में किसी बड़े ट्रॉमा के बिना भी बच्चे स्ट्रेस और एंगजाइटी का शिकार हो रहे हैं।
आपको उन चीजों के बारे में बताते हैं, जो बच्चों की खराब मेंटल हेल्थ के लक्षण हो सकते हैं।
डर
इनके अपने डर होते हैं, जिनमें से अधिकतर बेबुनियाद लग सकते हैं, पर ये उनके लिए एक बड़ा डर का मुद्दा हो सकता है। जैसे अंधेरे से डर, अकेले रहने से डर, नई जगह और नए लोगों से मिलने का डर आदि।
अत्यंत भावुक
स्ट्रेस से पीड़ित बच्चे हमेशा रोने और सामान्य रहने की भावना के बीच फंसा हुआ महसूस करते हैं और छोटी सी बात पर भी तुरंत रो पड़ते हैं।
अटेंशन की डिमांड
स्ट्रेस से पीड़िक बच्चे एक इंसिक्योरिटी में जीते हैं। यही कारण है कि खुद को सेफ महसूस कराने के लिए वे हर समय अटेंशन की डिमांड करते हैं। रोकर या चिल्लाकर वे अपनी तरफ सभी का ध्यान आकर्षित करते हैं।
गुस्सैल और चिड़चिड़े
स्ट्रेस में होने पर बच्चे इस भावना को व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं और मन में हो रही उलझन को अनावश्यक चिल्ला कर व्यक्त करते हैं। इन्हें गुस्सा भी जल्दी आता है।
इसके अलावा स्ट्रेस होने पर कुछ बच्चे रात में सोते हुए पेशाब कर सकते हैं। कुछ को रात में नींद ही नहीं आती या फिर भयानक सपने आते हैं। भूख कम हो सकती है और हर समय शरीर का कोई एक हिस्से में दर्द रहने की शिकायत रहेगी, फिर वो चाहे सिर दर्द हो या फिर पेट दर्द।