11 दिन तक नहीं सोया ये लड़का, 260 घंटे तक जागने का क्या हुआ दिमाग पर असर? बताई खतरनाक अनुभव की सच्चाई
हालांकि शुरू में रैंडी धीरे-धीरे सामान्य नींद के रूटीन में लौट आए, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें गंभीर अनिद्रा (insomnia) की शिकायत होने लगी. उन्होंने बाद में स्वीकार किया कि किशोरावस्था में नींद से इतना खिलवाड़ करना उनके लिए जीवनभर की मुसीबत बन गया.

क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान कितनी देर तक बिना सोए रह सकता है? अमेरिका के रहने वाले रैंडी गार्डनर ने 1963 में सिर्फ 17 साल की उम्र में इस सवाल का जवाब दुनिया को दिया उन्होंने लगातार 264 घंटे यानी करीब 11 दिन तक नींद नहीं ली. उस समय रैंडी ने अपने दो दोस्तों ब्रूस मैकएलिस्टर और जो मार्सियानो जूनियर के साथ मिलकर यह रिकॉर्ड बनाने का फैसला किया. इसका मकसद था होनोलुलु के एक रेडियो जॉकी टॉम राउंड्स का रिकॉर्ड तोड़ना, जिन्होंने बिना सोए 260 घंटे बिताए थे.
यह प्रयोग एक स्कूल साइंस फेयर (Greater San Diego Science Fair) के लिए शुरू किया गया था, लेकिन धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया. दोस्तों ने तय किया कि रैंडी को लगातार जगाकर रखा जाएगा और हर छह घंटे में उसकी मानसिक स्थिति की जांच की जाएगी. जैसे-जैसे दिन बीतते गए, रैंडी की मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी. तीन दिन बाद याददाश्त और ध्यान देने की क्षमता में गिरावट. तीन दिन बीतने के बाद, रैंडी को ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होने लगी और छोटी-छोटी बातें भी याद नहीं रहती थी. चौथे और पांचवे दिन तक तो उन्हें यह अहसास हुआ कि यह बहुत मुश्किल काम है.
वह चाहकर भी पीछे नहीं हट सकते थे
उन्होंने खुद कहा, 'मैं सोचने लगा था क्या ये मजाक है? ये तो बहुत कठिन है.' लेकिन तब तक यह प्रयोग अखबारों और खबरों में छप चुका था, इसलिए वह पीछे नहीं हट सकते थे. इस प्रयोग की गंभीरता को देखते हुए, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के नींद विशेषज्ञ डॉ. विलियम डेमेंट खुद रैंडी के साथ जुड़ गए. उन्होंने रैंडी को नींद से बचाए रखने के लिए कई तरीके अपनाए जैसे तेज आवाज में रेडियो चलाना, कार में घुमाना और पिनबॉल खेलने की चुनौती देना.
रिकॉर्ड करने के बाद ली इतने घंटे की नींद
हैरानी की बात यह रही कि 10 दिन तक ना सोने के बावजूद, रैंडी ने पिनबॉल का गेम जीत लिया. 11 दिन पूरे होने तक रैंडी की हालत काफी खराब हो चुकी थी. मूड में मूड स्विंग्स. ध्यान और याददाश्त की परेशानी, डर और भ्रम और हर चीज से चिड़चिड़ापन. जब रैंडी ने 264 घंटे का रिकॉर्ड बना लिया, तो उन्हें डॉक्टरों की टीम ने 14 घंटे 45 मिनट तक सोने दिया. इस दौरान उनके दिमाग की तरंगें, दिल की धड़कन, ब्लड प्रेशर आदि को मॉनिटर किया गया.
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अब ऐसे प्रयासों को नहीं लेता
हालांकि शुरू में रैंडी धीरे-धीरे सामान्य नींद के रूटीन में लौट आए, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें गंभीर अनिद्रा (insomnia) की शिकायत होने लगी. उन्होंने बाद में स्वीकार किया कि किशोरावस्था में नींद से इतना खिलवाड़ करना उनके लिए जीवनभर की मुसीबत बन गया. रैंडी के रिकॉर्ड के बाद और भी कुछ लोगों ने ऐसे प्रयोग किए, लेकिन 1997 में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने ऐसे प्रयासों को स्वीकार करना बंद कर दिया, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है.