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वर्किंग वूमन में ज्यादा है यूट्राइन फाइब्रोएड का खतरा, जानें बचाव के उपाय

व्यस्त दिनचर्या और तनाव भरी जिंदगी के कारण कई महिलाएं यूट्रस के गांठ से पीड़ित हो रही हैं। इसे फाइब्रोएड भी कहते हैं। यह खतरा वर्किंग वूमन में ज्यादा देखा जा रहा है।

वर्किंग वूमन में ज्यादा है यूट्राइन फाइब्रोएड का खतरा, जानें बचाव के उपाय
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 26 Oct 2024 4:00 PM IST

व्यस्त दिनचर्या और तनाव भरी जिंदगी के कारण कई महिलाएं यूट्रस के गांठ से पीड़ित हो रही हैं। इसे फाइब्रोएड भी कहते हैं। यह खतरा वर्किंग वूमन में ज्यादा देखा जा रहा है। कामकाजी महिलाएं अक्सर तनाव में रहती हैं, जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है। इससे कई बार फाइब्रॉएड के विकास को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा अनहेल्दी फूड्स, शराब का सेवन, फिजिकल एक्टिविटी में कमी भी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं।

बच्चेदानी में बनने वाला ये गांठ हर साल कई महिलाओं को प्रभावित करता है। हालांकि यह कैंसर नहीं बनता है, लेकिन इससे मां बनने की संभावनाएं जरूर प्रभावित होती है। फाइब्रॉएड से पीड़ित 20-40% से अधिक महिलाओं को इसका पता भी नहीं चलता, जबकि जिन्हें इसके बारे में पता चल जाता है, उनमें से कई महिलाएं इसका इलाज नहीं करवाती हैं।

गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षणों को पहचानना इसके उपचार और शुरुआती स्टेज पर कंट्रोल करने के लिए जरूरी है। यदि आप हैवी पीरियड्स, लंबे समय तक पीरियड रहना, पेल्विक दर्द और बार-बार पेशाब आना आने जैसे लक्षणों का सामना कर रही हैं तो यह बच्चेदानी में गांठ का संकेत हो सकता है।

अपनी दिनचर्या में कुछ बातों का ध्यान रखकर आप इसके खतरों को कम कर सकती हैं।

जानिए, कैसे हो फाइब्रॉएड से बचाव

नींद की कमी भी हार्मोन्स पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। ऐसे में रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।

फल, सब्जियां, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा का सेवन करें। फाइबर युक्त आहार गांठ के विकास को कम करता है।

योग, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग अपनाएं, ये तनाव को कम करने में मदद कर सकती हैं।

रोजाना व्यायाम करें, यह न केवल वजन कंट्रोल करने में मदद करता है, बल्कि हार्मोनल संतुलन भी बनाए रखता है।

नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराते रहें। इससे फाइब्रॉएड का समय पर पता लगाया जा सकता है।

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