क्या है बाइपोलर डिसॉर्डर, जानें लक्षण
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में बाइपोलर डिसऑर्डर एक गंभीर स्थिति है। इसे मैनिक-डिप्रेशन डिसऑर्डर भी कहा जाता है।

आजकल के भागदौड़ और अति स्पर्धा वाली दुनिया में मानसिक समस्याएं बेहद आम हो गई हैं। लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी तनाव से गुजर रहा है। इसका असर उसके शारीरिक स्वास्थ्यस हृदय, नींद आदि पर भी पड़ता है।
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में बाइपोलर डिसऑर्डर एक गंभीर स्थिति है। इसे मैनिक-डिप्रेशन डिसऑर्डर भी कहा जाता है। इस मानसिक बीमारी के बारे में कई सेलिब्रिटीज भी बात कर चुके हैं। इसमें व्यक्ति की मनोदशा में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है। बाइपोलर डिसऑर्डर किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। हालांकि, इसके लक्षणों से इसका पहचान हो सकती है और पेशेवर की मदद से इसका उपचार भी किया जा सकता है।
कारण
सबसे पहले समझते हैं बाइपोल डिसऑर्डर किन कारणों से होता है।
परिवार में बाइपोलर डिसऑर्डर का इतिहास होने से इसका खतरा बढ़ सकता है।
मस्तिष्क में रसायनों (न्यूरोट्रांसमीटर) का असंतुलन, जैसे कि सेरोटोनिन और डोपामाइन, बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण उत्पन्न कर सकता है।
हार्मोनल परिवर्तन भी इस विकार के विकास में योगदान कर सकते हैं। मानसिक स्थिति और हार्मोनल असंतुलन के बीच का संबंध बाइपोलर डिसऑर्डर की संभावना को प्रभावित कर सकता है।
अत्यधिक तनाव, जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव, या पुरानी बीमारियां बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को ट्रिगर कर सकती हैं।
इन लक्षणों से इसकी पहचान की जा सकती है।
अधिक ऊर्जा, नींद की कमी और तेजी से बात करने की आदत।
बहुत ज्यादा उत्साह या अति-आत्म-प्रशंसा का अनुभव।
असामान्य रूप से बड़ी योजनाएं बनाना या अवास्तविक विचारों से घिरे रहना।
निर्णय लेने में कठिनाई।
जोखिम भरे या गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार जैसे ज्यादा खर्च या असुरक्षित यौन संबंध बनाना
लंबे समय तक उदासी, निराशा और ऊर्जा की कमी का अनुभव।
सामान्य गतिविधियों में रुचि की कमी और दैनिक कार्यों में कठिनाई।
आत्म-आलोचना, अपराध बोध और आत्महत्या के विचार।
नींद की समस्याएं, जैसे अत्यधिक नींद या नींद की कमी।
भूख में बदलाव और वजन में वृद्धि या कमी।
हालांकि, अगर आपको लगता है कि आप या आपका कोई परिचित इससे पीड़ित है, तो इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है। बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार कई तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें मूड स्थिर करने वाली दवाइयां, साइकोथेरेपी, नियमित नींद, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।