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शिशु को पहले 6 महीने सिर्फ स्तनपान, मां के लिए भी है जरूरी

जरूरी है कि शुरु के 6 महीने बच्चे को बाहर का कुछ भी न दिया जाए, क्योंकि बाहरी पानी का सेवन इंफेक्शन और बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है।

शिशु को पहले 6 महीने सिर्फ स्तनपान, मां के लिए भी है जरूरी
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( Image Source:  Sora AI )
निशा श्रीवास्तव
निशा श्रीवास्तव

Updated on: 14 Dec 2025 11:02 PM IST

भारत में नवजात बच्चों को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कराने की दर काफी कम है। इसके अलावा, जन्म के बाद पहले छह महीनों में केवल तीन में से दो बच्चे विशेष रूप से स्तनपान प्राप्त कर पाते हैं। नवजात शिशु के लिए मां का दूध बेहद जरूरी होता है। शुरुआत में मिलने वाला यह पोषण ही उनकी आने वाली जिंदगी में उनके स्वास्थ्य को तय करता है। पहले छह महीने बच्चे को सिर्फ मां का दूध दिया जाना आवश्यक है।

छह महीने से पहले शिशुओं को केवल स्तन का दूध ही दिया जाना चाहिए। जरूरी है कि शुरु के 6 महीने बच्चे को बाहर का कुछ भी न दिया जाए, क्योंकि बाहरी पानी का सेवन इंफेक्शन और बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। यह स्तन के दूध के पोषक तत्वों की मात्रा को कम कर सकता है, जिससे कुपोषण हो सकता है।

अध्ययन बताते हैं कि कम शिक्षा और कम सामाजिक-आर्थिक स्थिति के साथ महिलाओं का पोषक तत्वों का सेवन प्रभावित होता है, जिससे गर्भवती महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) कम होता है। इसका सीधा असर बच्चे पर भी पड़ता है।

यह दूध सिर्फ बच्चे के विकास के लिए ही नहीं बल्कि मां के लिए के सेहत के लिए भी जरूरी होता है। मांओ के लिए, लंबे समय तक स्तनपान से बेहतर स्वास्थ्य परिणाम जुड़े हुए हैं, जैसे कि इससे ओवेरियन और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा, पहले छह महीनों के लिए विशेष स्तनपान से मासिक धर्म में देरी हो सकती है, जो परिवार नियोजन में सहायता कर सकती है।

स्तनपान से मां के शरीर को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। यह गर्भाशय को सिकुड़ने में मदद करता है और रक्तस्राव को कम करता है।

स्तनपान के दौरान महिलाओं के शरीर से कैल्शियम का अधिक उपयोग होता है। यह कैल्शियम बच्चे की हड्डियों के विकास के लिए जाता है। लेकिन, यह मां की हड्डियों को कमजोर नहीं बनाता है। इसके बजाय, यह लंबे समय में हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकता है और ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम कर सकता है।

स्तनपान के दौरान मां और बच्चे के बीच एक विशेष बंधन बनता है। यह बंधन मां को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है।

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