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दीवार से खोदकर सीमेंट खाती हुई लड़की का वीडियो वायरल, इस बीमारी से होती है ऐसी हालत

अक्सर आपने बच्चों को मिट्टी, चूना और चॉक खाते हुए देखा होगा? सोशल मीडिया पर ऐसा ही एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक लड़की दीवार से सीमेंट निकालकर खाती दिख रही है. लोगों ने बताया कि यह एक तरह की बीमारी है.

दीवार से खोदकर सीमेंट खाती हुई लड़की का वीडियो वायरल, इस बीमारी से होती है ऐसी हालत
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 24 Jun 2025 5:23 PM IST

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक लड़की दूसरे के घर की दीवार से सीमेंट खोद-खोद कर खाती नजर आ रही है. इस वीडियो को देख लोग हैरानी में है और सोच रहे हैं कि आखिर वह ऐसा क्यों कर रही है. दरअसल यह एक बीमारी है, जिसे पिका डिसऑर्डर कहा जाता है.

इस बीमारी में इंसान ऐसी चीजें खाने लगता है जो आमतौर पर खाने के लिए नहीं होती है. इनमें सीमेंट से लेकर कपड़ा तक शामिल है. चलिए जानते हैं आखिर क्या है इस बीमारी का कारण और इलाज.

क्या है पिका डिसऑर्डर?

पिका (Pica) एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें व्यक्ति को खाने योग्य नहीं होने वाली चीजों को खाने की इच्छा होती है और वह बार-बार ऐसा करता है. यह समस्या बच्चों में आम है, लेकिन अडल्ट भी इसका शिकार हो सकते हैं. खासतौर से प्रेग्नेंट महिलाएं और मानसिक विकारों से जूझ रहे लोगों में यह परेशानी ज्यादा देखने को मिलती है.

क्या-क्या खा सकता है?

पिका डिसऑर्डर में व्यक्ति मिट्टी, चूना, बाल, कागज, साबुन, कपड़ा, रबड़, राख या कोयला बर्फ (कुछ मामलों में) और दीवार की प्लास्टर जैसी चीजें खाने लगता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाती है.

कितनी देर तक होता है?

अगर कोई व्यक्ति कम से कम 1 महीने तक लगातार ये चीजें खाता है और ये व्यवहार उसकी उम्र या विकास स्तर के लिए सामान्य नहीं है, तो इसे पिका डिसऑर्डर माना जाता है.

बच्चों और गर्भवती महिलाओं को क्यों होती है ये बीमारी?

छोटे बच्चों में यह कभी-कभी सामान्य माना जाता है, क्योंकि वे चीजों को मुंह में लेकर दुनिया को समझने की कोशिश करते हैं, लेकिन अगर ये आदत लंबे समय तक बना रहे, तो चिंता की बात हो सकती है. कुछ गर्भवती महिलाओं को मिट्टी, चूना या बर्फ खाने की इच्छा हो सकती है. इसे शरीर में पोषक तत्वों की कमी (जैसे आयरन या जिंक) से जोड़ा जाता है.

क्या हो सकते हैं कारण?

आयरन या जिंक की कमी, मानसिक विकार (जैसे ऑटिज़्म, स्किज़ोफ्रेनिया), तनाव या भावनात्मक समस्याएं, गर्भावस्था. इसके कारण पेट में कीड़े या इंफेक्शन ज़हर (toxic substance) जाने का खतरा, डाइजेशन में रुकावट, पोषण की कमी और दांत या मुंह को नुकसान होता है.

इलाज कैसे होता है?

मेडिकल जांच के जरिए शरीर में पोषक तत्वों की कमी देखी जाती है. काउंसलिंग या थेरेपी से मदद मिलती है. इसके अलावा, डाइट सुधार किया जाता है. जैसे आयरन, जिंक या अन्य जरूरी पोषक तत्व दिए जाते हैं. अगर मानसिक रोग जुड़ा हो तो उसका इलाज होता है.

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