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होटल से आए काले डब्बे को दोबारा करते हैं इस्तेमाल तो जान लें ये खतरे

अगर आप ऑनलाइन खाना मंगाने के शौकीन हैं तो आपने ध्यान दिया होगा कि आजकल ज्यादातर रेस्तरां से खाना काले पलास्टिक के डिब्बों में आता है।

होटल से आए काले डब्बे को दोबारा करते हैं इस्तेमाल तो जान लें ये खतरे
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 4 Oct 2024 2:00 AM IST

अगर आप ऑनलाइन खाना मंगाने के शौकीन हैं तो आपने ध्यान दिया होगा कि आजकल ज्यादातर रेस्तरां से खाना काले पलास्टिक के डिब्बों में आता है। ये डिब्बे काफी सुविधाजनक होते हैं, जिसमें आसानी से खाने को लाया और ले जाया जा सकता है। कई लोग ये डब्बे घर में रख लेते हैं और इनका इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, यह आपके स्वास्थ्य के लिए भारी पड़ सकता है।

गर्म खाने के कारण ये केमिकल पिघलकर खाने में मिलते हैं और हमारे शरीर में आ जाते हैं। इसके कारण सेहत को भारी नुकसान उठाने पड़ सकते हैं। आपको बता दें कि इस प्लास्टिक के गंभीर स्वास्थ्य परेशानियों की वजह से अमेरिका ने 2021 में इस पर बैन लगा दिया था।

काला प्लास्टिक को रिसाइकिल करना भी बहुत मुश्किल होता है। इसलिए इसे कई बार दोबारा इस्तेमाल किया जाता है, जिससे ये केमिकल हमारे शरीर में प्रवेश करता रहता है। प्लास्टिक प्लयूशन में 15 प्रतिशत तक योगदान काले प्लास्टिक का है। इस प्लास्टिक को रिसाइकिलिंग के दौरान अलग करने के लिए इंफ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इस मशीन को काला रंग दिखाई नहीं देता। इस वजह से ज्यादातर प्लास्टिक रिसाइकिल नहीं हो पाता। इसके कारण पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है, क्योंकि इसे नष्ट करना भी मुश्किल होता है।

स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है काला प्लास्टिक

• कैंसर का खतरा- अप्रैल 2024 में सामने आई एक स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों के खून में फ्लेम रिटाडेंट ज्यादा होता था, उनमें कैंसर से मौत का खतरा 300 प्रतिशत ज्यादा था। 'पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन' नाम का केमिकल, जो काले प्लास्टिक में पाया जाता है, उससे भी कैंसर का खतरा रहता है। इस रसायन की वजह से सांस लेने में भी समस्या हो सकती है।

• बच्चों पर असर- इस प्लास्टिक में मौजूद 'डेकाब्रोमोडिफिनाइल ईथर' भ्रूण और बच्चों के विकास में रुकावट पैदा कर सकता है। इसकी वजह से बच्चों की सीखने की क्षमता को भी नुकसान पहुंचता है।

• स्वास्थ्य पर प्रभाव- इस केमिकल की वजह से हार्मोन नियंत्रित करने वाले ग्लैंड- एंडोक्राइन पर नकारात्क प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण थायरॉइड की बीमारी का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा, ये इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करता है।

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