देर रात तक और सुबह उठते ही उठा लेते हैं मोबाइल तो इस बीमारी के बारे में जान लें
ज्यादा स्क्रीनटाइम आपकी मेंटल हेल्थ के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। आज आपको बताते हैं इससे होने वाले डिजिटल डिमेंशिया के बारे में।

फोन और लैपटॉप आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। स्क्रीन टाइम एक बहुत ही बड़ा एडिक्शन है, जिससे उबरने के लिए लोगों को कई सख्त नियम और तरकीबें अपनानी पड़ रही हैं। ज्यादा स्क्रीनटाइम आपकी मेंटल हेल्थ के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। आज आपको बताते हैं इससे होने वाले डिजिटल डिमेंशिया के बारे में।
ब्रेन डिसऑर्डर का एक समूह जिसके कई प्रकार के लक्षण होते हैं जैसे मेमोरी लॉस, निर्णय क्षमता कम होना, पर्सनेलिटी में बदलाव और दैनिक क्रिया करने में दिक्कत महसूस होने लगे, तो ये डिमेंशिया कहलाता है।
स्मार्टफोन के कारण हमारे ब्रेन सेल्स कम सक्रिय होते हैं, ब्रेन में एक प्रकार का सेंसरी मिस मैच होता है जो तकनीक, फोन और एक ही पोश्चर में देर तक बैठे रहने के कारण होता है जिससे डिमेंशिया के लक्षण महसूस होने लगते हैं, जो कि डिजिटल डिमेंशिया कहलाता है। दिनभर में 4 घंटे से ज्यादा फोन, लैपटॉप, टैबलेट, कंप्यूटर आदि चलाने के कारण डिजिटल डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाता है। बड़ों के साथ बच्चे भी इससे समान रूप से प्रभावित होते हैं।
ये हैं लक्षण
चीजों को आसानी से भूल जाना या खो देना
शॉर्ट टर्म मेमोरी कम होना
किसी शब्द या किसी बात को याद करने में दिक्कत महसूस करना
मल्टी टास्किंग करने में समस्या
बारीक चीज़ों से लेकर बड़े काम में भी फोकस करने में कमी
हर छोटे बड़े काम के लिए गूगल का इस्तेमाल करने से अपना फोन नम्बर जैसी बेसिक चीजें भी याद रखने में असक्षम
बच्चों में भाषा पर धीमी पकड़, ब्रेन का कम सक्रिय रहना और निष्क्रिय बैठे रहने के कारण मानसिक और शारीरिक विकास में भी बाधा उत्पन्न होती है।
इससे बचने के लिए फोन पर टाइम लिमिट सेट रखें जिसके बाद आपका फोन ही आपको एक्सेस यूसेज का सिग्नल देने लगे। ऐसे कई एप आजकल मौजूद हैं। साथ ही रात में सोने से पहले और सुबह उठने के बाद कुछ देर तक का समय फिक्स रखें जिस दौरान आप फोन कतई नहीं छुएंगे।