बच्चों को उलझाने के लिए दे देते हैं फोन तो जान लें ये खतरे
आजकल के माता-पिता अपनी व्यस्त दिनचर्या में बच्चों के लिए भी समय निकाल नहीं पा रहे हैं। ऐसे में अकसर वे बच्चों को उलझाने के लिए उन्हें मोबाइल दे देते हैं। इससे बच्चे के विकास पर बेहद बुरा असर पड़ सकता है।

आजकल के माता-पिता अपनी व्यस्त दिनचर्या में बच्चों के लिए भी समय निकाल नहीं पा रहे हैं। ऐसे में अकसर वे बच्चों को उलझाने के लिए उन्हें मोबाइल दे देते हैं। इससे बच्चे के विकास पर बेहद बुरा असर पड़ सकता है।
ज्यादा समय तक स्क्रीन पर समय बिताने की वजह से बच्चों की शारीरिक गतिविधियों में कमी आती है। वे बाहर किसी पार्क में खेलने की जगह ज्यादातर सोफे या बेड पर समय बिताते हैं और फोन या लैपटॉप की स्क्रीन पर देखते रहते हैं। इसके कारण उनमें मोटापे की समस्या पैदा होने लगती हैं, जो सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होता है।
बच्चों के 18 माह से 3 वर्ष तक की अवस्था में भाषा का विकास तेजी से होता है। आमतौर पर, इस उम्र में बच्चे अपने परिजनों के साथ खेल-खेल में बोलना सीख जाते हैं। इसके साथ ही 4 वर्ष के बाद से बच्चों में साक्षरता आदि का विकास भी हो जाता है। लेकिन जो बच्चे स्क्रीन पर बने रहते हैं उनमें इस तरह की संज्ञानात्मक विकास में देरी आ सकती है।
लंबे समय तक स्क्रीन पर देखते रहना, खासकर सोने से पहले स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने की वजह से बच्चों की नींद का पैटर्न खराब होने लगता है। ऐसा स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट की वजह से होता है। ये मेलाटोनिन के प्रोडक्शन को कम कर देता है, क्योंकि मेलाटोनिन हार्मोन नींद को नियंत्रित करता है।
देर तक स्क्रीन पर देखने की वजह से बच्चों की आंखों में कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। जिनमें आंखों से पानी आना, कम दिखाई पड़ना जैसी समस्याएं शामिल हैं। इसे डिजिटल आई स्ट्रेन कहा जाता है।
ज्यादातर समय स्क्रीन को देखते रहने की वजह से बच्चों में सहयोग, सहानुभूति जैसे नैतिक मूल्यों में कमी आ सकती है और वे अकेला रहना पसंद करते हैं। जिसके कारण वो एंजायटी या डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं।