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भारी तनाव में हैं भारतीय छात्र, इन तरीकों से मिलनी चाहिए मदद

भारत दुनिया में सबसे बड़ी छात्र आबादी वाला देश है। हालांकि, बीते कुछ सालों में छात्रों में मानसिक तनाव के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। यही वजह के है कि छात्रों की खुदकुशी और ड्रग अब्यूज जैसे मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।

भारी तनाव में हैं भारतीय छात्र, इन तरीकों से मिलनी चाहिए मदद
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 26 Oct 2024 9:00 PM IST

भारत दुनिया में सबसे बड़ी छात्र आबादी वाला देश है। हालांकि, बीते कुछ सालों में छात्रों में मानसिक तनाव के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। यही वजह के है कि छात्रों की खुदकुशी और ड्रग अब्यूज जैसे मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। लैंसेट के एक स्टडी से पता चला है कि पिछले 15 सालों में 21 साल से कम उम्र की पीने वाली आबादी का प्रतिशत 2% से बढ़कर 14% से ज्यादा हो गया है। इसी तरह पिछले दो सालों में यंग एडल्ट के लिए स्क्रीन टाइम में 75% से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

ऐसे पैरेंट्स और शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी बनती है कि वे छात्रों को जरूर मेंटल सपोर्ट मुहैया कराएं। आइए, समझते हैं तनाव से जूझ रहे छात्रों की मदद कैसे की जा सकती है।

टीचर्स बनें सेंसिटिव

फैकल्टी और स्टाफ के बीच संवेदनशीलता और समझ को बढ़ावा देने से मुश्किल में फंसे छात्रों की पहचान करना आसान हो जाता है और एक सुरक्षित वातावरण बनाने में मदद मिलती है। टीचर्स के लिए रेग्युलर ट्रेनिंग इस बात को सुनिश्चित कर सकता है कि वो छात्रों की बदलती परिस्थितियों को समझते हैं, टेंशन के साइन की पहचान करना सीखते हैं और जरूरी सपोर्ट देते हैं।

पीयर सपोर्ट प्रोग्राम

मेंटल हेल्थ से जुड़ा कलंक दूर करने का पहला कदम सार्वजनिक स्थानों पर जागरूकता पैदा करना है। ये टीचर और स्टूडेंट्स को शामिल करने वाला पीयर सपोर्ट प्रोग्राम के जरिए किया जा सकता है। इस तरह छात्र अपनी परेशानियों को बयां करने में कंफर्टेबल महसूस कर सकते हैं और संस्थानों को अपने छात्रों पर नजर रखने की इजाजत दे सकते हैं।

मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल तक पहुंच

स्टू़डेंट्स को अपनी परेशानियों को बयां करने के लिए सेफ स्पेस तैयार किया जाए जहां उनको कोई जज न करे। कॉलेज के छात्रों को उनके प्लेसमेंट में भी मदद करने के लिए करियर काउंस्लिंग या प्रोफेशन हेल्प दी जा सकती है।

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