बच्चों में बढ़ रही नजर की समस्या, इन बातों का रखें ध्यान
विशेषज्ञों के अनुसार, बड़ी संख्या में 10 से कम उम्र के बच्चों में मायोपिया या निकट दृष्टिदोष हो रहे हैं।

नजर कमजोर होने और कम दिखाई देने की जब बात आती है, तो इसे उम्र का असर मान लिया जाता है। हालांकि आजकल बच्चों में ये दिक्कत काफी तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, बड़ी संख्या में 10 से कम उम्र के बच्चों में मायोपिया या निकट दृष्टिदोष हो रहे हैं। इसमें दूर की चीजों को देखने में कठिनाई होने लगती है और बच्चों को चश्मा पहनने की जरूरत पड़ने लगती है। ऐसे में जरूरी है कि शुरुआत से ही इस ओर ध्यान दिया जाए।
बच्चों में आंखों की बढ़ती समस्याओं के बारे में जानने के लिए किए गए रिसर्च में पाया गया कि अक्सर 6 से 14 वर्ष के बीच ये समस्या शुरू होती है। अगर इस समस्या पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो गंभीर स्थितियों में मायोपिक मैकुलोपैथी, रेटिनल डिटेचमेंट, ग्लूकोमा और मोतियाबिंद जैसी समस्याओं का खतरा हो सकता है। लगभग 9% बच्चों और 30% किशोरों को मायोपिया हो सकती है।
क्या है मायोपिया?
इसमें रोगी को अपने निकट की वस्तुएं तो साफ दिखाई देती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती हैं। आंख की सुरक्षात्मक बाहरी परत कॉर्निया के बड़े हो जाने के कारण ऐसी समस्या हो सकती है।
वजह
बच्चों में आखों की समस्या की एक बड़ी वजह है उनका स्क्रीनटाइम। स्क्रीन टाइम मतलब, कंप्यूटर, मोबाइल या टीवी की स्क्रीन पर बच्चों का ज्यादा समय बिताना। मायोपिया के बढ़ते खतरे को लेकर शोधकर्ताओं ने बताया कि स्क्रीन टाइम ने बच्चों और युवाओं में मायोपिया के खतरे को पहले की तुलना में काफी बढ़ा दिया है। यदि समय रहते इससे बचाव के उपाय न किए गए तो आने वाले समय में ज्यादातर लोग इस समस्या से पीड़ित हो जाएंगे।
इन बातों का रखें ध्यान
लाइफस्टाइल में कुछ बातों का ध्यान रखकर मायोपिया के खतरे को कम किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा स्क्रीन से ज्यादा समय, बाहर खेलने में बिताता है। कंप्यूटर या अन्य डिजिटल डिवाइस पर स्क्रीन के समय को सीमित करें। बच्चों की डाइट को पौष्टिक रखना भी जरूरी है। विटामिन-ए और ई के साथ बीटा कैरोटीन वाली चीजों को उनके खानपान का हिस्सा बनाना आंखों की समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।