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बढ़ रहे अपराध, बेटियों की परवरिश में पैरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान

चिंता की वजह से उनपर पाबंदियां लगाना ठीक नहीं है। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे छोटी उम्र से ही लड़कियों को हिम्मती बनाएं।

बढ़ रहे अपराध, बेटियों की परवरिश में पैरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान
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स्टेट मिरर डेस्क
by: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 15 Sept 2024 3:00 AM IST

महिलाओं के प्रति अपराध दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में हर किसी को अपनी बेटी की सुरक्षा की चिंता सताना लाजमी है। हालांकि, इस चिंता की वजह से उनपर पाबंदियां लगाना ठीक नहीं है। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे छोटी उम्र से ही लड़कियों को हिम्मती बनाएं, जिससे वे निडर होकर घर के बाहर अपना जीवन बिता सकें और खुद को सुरक्षित भी रख सकें। उन्हें सेल्फ डिफेंस की चीजें देना और लोकेशन शेयर करने जैसी सलाह देना ही काफी नहीं होता है। उनके भीतर वक्त आने पर खतरे का सामना करने का आत्मविश्वास भी होना चाहिए। इसकी नींव बचपन से ही डालनी होगी, ताकि वो खुद को सेफ रखने का कॉन्फिडेंस खुद में डेवलप कर सकें।

बेटियों के पैरेंट्स को परवरिश में ये बातें जरूर ध्यान में रखनी चाहिए।

भरोसेमंद बनें

हर माता-पिता को ये कोशिश जरूर करनी चाहिए कि वो अपनी बेटियों के लिए इतने भरोसेमंद हों कि बेटियां उनसे हर बात शेयर करें। उनके साथ ऐसा रिश्ता बनाकर रखिए जिससे वे बेझिझक अपनी हर परेशानी आपको बता सकें।

बाउंड्री का अहसास करवाएं

अक्सर बच्चियां ये तय नहीं कर पातीं कि वो किस से किस लेवल तक दूरी बनाकर रखें और किसी के कितना करीब जाएं। इसका फायदा भी कई लोग उठाते हैं और कई लोग गलत समझ कर आगे बढ़ते हैं। इसलिए बच्चियों को कम उम्र से ही बताएं कि किसी से भी बात करने का सेफ डिस्टेंस क्या है।

संभावित खतरों के प्रति करें अवेयर

माता-पिता को चाहिए कि वो बेटियों को संभावित खतरों के प्रति भी आगाह करें। उन्हें ये बताएं कि जरूरी नहीं कि अजनबी ही खतरा बने अक्सर करीबी भी मुश्किलें बढ़ाते हैं। अगर बच्ची किसी भी तरह से असहज है, तो उसे ‘ना’ कहने का अधिकार है, चाहे वो कितना भी करीबी रिश्तेदार क्यों न हो।

सेल्फ डिफेंस सिखाएं

जरूरी नहीं है कि सेल्फ डिफेंस के लिए बच्ची को भारी-भरकम मार्शल आर्ट सिखाएं। उसे सेल्फ डिफेंस के छोटे-छोटे ट्रिक्स बताकर रखें।

खतरा भांपने के बाद क्या करें?

अगर बेटी खतरा भांप ले तो उसे सबसे पहले क्या करना चाहिए, ये सीख जरूर दें। अपनी बेटी को बताएं कि उसे घबराने की जगह इमरजेंसी नंबर पर कॉल करना चाहिए। उसे वो सारे नंबर की लिस्ट तो दे हीं साथ ही उन सारे नंबर्स को याद भी करवाएं जो उसे सबसे पहले लगाने हैं, और जहां से उसे मदद मिल सकती है।

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