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Happy New Year 2025: किसने शुरू किया था नया साल मनाने का चलन, जनवरी नहीं ये था पहला महीना

नया साल एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जब लोग नए लक्ष्यों और संकल्पों के साथ अपने जीवन में पॉजिटिव बदलाव लाने की कोशिश करते हैं. नया साल सामाजिक रिश्तों को मजबूत करने और परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का एक अच्छा मौका होता है.

Happy New Year 2025: किसने शुरू किया था नया साल मनाने का चलन, जनवरी नहीं ये था पहला महीना
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( Image Source:  Meta AI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 5 Nov 2025 5:12 PM IST

1 जनवरी को नया साल मनाया जाता है. इस दिन को नई जिंदगी की शुरुआत के रूप में देखा जाता है. जहां कुछ लोग पार्टी करते हैं, तो दूसरे लोग नए रेजोल्यूशन लेते हैं. नए साल के दिन अलग-अलग कल्चर के मुताबिक घरों में जश्न मनाया जाता है.

हर देश में नए साल को अलग-अलग तरीकों से सेलिब्रेट किया जाता है, लेकिन आमतौर पर यह एक खुशियों और उम्मीदों का समय होता है, जब लोग अपने पुराने एक्पीरियंस को पीछे छोड़कर नए साल में नई उम्मीदों के साथ कदम रखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहली बार नए साल का जश्न किसने मनाया था? साथ ही आखिर 1 जनवरी को ही न्यू ईयर सेलिब्रेट किया जाता है.

नए साल का इतिहास

सबसे पहले प्राचीन मेसोपोटामिया में लगभग 2000 ईसा पूर्व में नए साल का जश्न मनाया गया था. जहां नया साल वसंत मौसम के दौरान मनाया जाता था. इसके बाद प्राचीन रोम में 46 ईसा पूर्व में जूलियस सीज़र ने कैलेंडर बदला. जहां उन्होंने 1 जनवरी को साल के पहले दिन के रूप में मार्क किया.

'जनवरी' महीने का मतलब

इसके अलावा, जनवरी का नाम रोमन देवता Janus के नाम पर रखा गया था, जो शुरुआत, अंत और ट्रांजिशन का सिंबल है. यह अतीत पर सोचने और फ्यूचर की प्लानिंग करने का भी प्रतीक है. Janus को अक्सर दो चेहरों के साथ दिखाया जाता है. जहां उनका एक चेहरा अतीत और दूसरा भविष्य की ओर देखता है.

पहली बार किसने मनाया था नया साल

हालांकि, रोमन लोग नए साल का जश्न मनाने वाली पहली जाति नहीं थे. इस जश्न की शुरुआत प्राचीन बेबीलोन से की जा सकती है, जहां के लोग मार्च में नया साल मनाते थे. समय के साथ रोमन साम्राज्य के प्रभाव और बाद में ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाने के कारण अलग-अलग कल्चर में इस तारीख को नए साल की शुरुआत के तौर पर स्वीकार किया जाने लगा.

सांस्कृतिक महत्व

नए साल का दिन जश्न मनाने का समय होता है. साथ ही, इसका सांस्कृतिक महत्व भी है. इस दिन अलग-अलग परंपराए निभाई जाती हैं. कई जगहों पर इन दिन आतिशबाजी की जाती है. दूसरी ओर लोग घर में हवन और पूजा भी करते हैं.

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