बच्चों की डाइट में शामिल में करें मछली, होंगे ज्यादा काइंड और सेल्फलेस, एक्सपर्ट्स ने दी ये खास सलाह
इस रिसर्च के बाद एक्सपर्ट्स का कहना है कि माता-पिता अपने बच्चों की डाइट में मछली जरूर शामिल करें. जो न सिर्फ उनकी हेल्थ को अच्छा करेगी बल्कि नैतिक रूप से उनके जीवन में एक नया बदलाव होगा.

आपके बच्चे कितने काइंड और सेल्फिश स्वाभाव के हो सकते हैं इसका पता उनके मछली खाने से पता चल सकता है. हां, थोड़ा हटकर है लेकिन यह सच है क्योंकि इसका दावा हम नहीं एक रिसर्च कह रही है. ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में पोषण में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कैरोलीन टेलर की रिसर्च कहती है कि जो बच्चे सप्ताह में दो बार मछली खाते हैं, वे अधिक मिलनसार और दयालु होते हैं.
अब इस रिसर्च के बाद एक्सपर्ट्स का कहना है कि माता-पिता अपने बच्चों की डाइट में मछली जरूर शामिल करें. जो न सिर्फ उनकी हेल्थ को अच्छा करेगी बल्कि नैतिक रूप से उनके जीवन में एक नया बदलाव होगा. प्रोफेसर डॉ. कैरोलीन टेलर ने कहा, 'बच्चों में मछली के सेवन को बेस्ट बिहेवियर ग्रोथ से जोड़ने के हमारे सबूत स्पष्ट हैं. हम माता-पिता को हफ्ते में कम से कम दो बार मछली खिलाने की सलाह देते हैं.' शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जो बच्चे मछली नहीं खाते हैं, वे स्वार्थी होने की अधिक संभावना रखते हैं, कम मिलनसार होते हैं और सेल्फ-फोकस्ड तरीके से व्यवहार करते हैं.
क्या है IQ और सी फूड का रिलेशन
पिछली रिसर्च के मितबिक, सी फूड ओमेगा-3 फैटी एसिड, सेलेनियम और आयोडीन का एक रिच सोर्स है. नुट्रिएंट्स जो ब्रेन ग्रोथ और उसे सुचारु रूप से काम करने के लिए अहम भूमिका निभाते हैं. वहीं एक्सपर्ट्स यह चेक करना चाहते थे कि बच्चों में बिहेवियर, IQ और सी फूड के सेवन के बीच कोई रिलेशन है या नहीं. टीम इंग्लैंड में सात से नौ साल के उम्र के लगभग 6,000 युथ पर लॉन्गलाइफ डेटा की जांच हुई है.
कितने प्रतिशत हो रहा है सेवन
लगभग 7.2 प्रतिशत बच्चे हर हफ्ते मछली नहीं खाते; 63.9 प्रतिशत बच्चे हर हफ्ते एक से 190 ग्राम मछली खाते हैं और 28.9 प्रतिशत बच्चे हर हफ्ते 190 ग्राम से अधिक मछली खाते हैं - जो दो से अधिक भागों के बराबर है. तथाकथित 'वाइट-कोटेड मछली प्रोडक्ट' - जैसे कि मछली की उंगलियां - औसत कुल सी फूड सेवन का लगभग आधा (46 प्रतिशत) हिस्सा बनाती हैं. हालांकि नौ साल के बच्चों में यह दर बढ़कर 43 प्रतिशत हो गई.
क्या है सबऑप्टिमल प्रोसोशल बिहेवियर
न्यू स्टडी के मुताबिक, यूरोपियन जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में पब्लिश किया गया है कि जो बच्चे मछली नहीं खाते, उनमें 'सबऑप्टिमल प्रोसोशल बिहेवियर' परफॉर्म करने की संभावना ज्यादा होती है. 'प्रोसोशल' व्यवहार में जैसे दोस्ताना बातचीत, सेल्फलेस, शेयरिंग, किसी को नुकसान न पहुंचाना शामिल है. वहीं रिसर्चर ने सी फूड के सेवन और IQ के बीच संबंधों को भी देखा, लेकिन कोई संबंध नहीं पाया गया.