क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट वाली महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग करवा सकती हैं? एक्सपर्ट से जानें राय
ब्रेस्ट इम्प्लांट्स एक प्रकार की सर्जिकल प्रोसेस है, जिसमें ब्रेस्ट के आकार और साइज को बढ़ाने के लिए सर्जरी की जाती है. ये इम्प्लांट्स आमतौर पर सिलिकॉन या सालाइन से भरे होते हैं और इन्हें ब्रेस्ट की मसल्स के नीचे या उसके ऊपर रखा जाता है.

फिजिकल अपीरियंस को बढ़ाने के लिए ब्रेस्ट इम्प्लांट ट्रीटमेंट करवाया जाता है. खासतौर पर जब बात ब्रेस्ट फीडिंग की आती है, तो यह महिलाओं की मेंटल और फिजिकल हेल्थ दोनों के लिए कई तरह से परेशानी का सबब हो सकता है. ऐसे में टाइम्स नाउ में छपी एक रिपोर्ट में उन्होंने एक्सपर्ट से बात की है, जिसमें बताया गया है कि ब्रेस्ट इम्प्लांट एक महिला की ब्रेस्टफीडिंग कराने की क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकते हैं और इम्प्लांट के हेल्थ पर क्या असर पड़ता है? चलिए जानते हैं इस बारे में.
सर्जरी पर करता है निर्भर
ईस्ट ऑफ कैलाश में आर्टेमिस द्वारा डैफोडिल्स में ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी में सलाहकार डॉ. अपूर्वा गुप्ता के अनुसार कई तरह की परेशानियां के बावजूद इम्प्लांट वाली कई महिलाएं अभी भी ब्रेस्ट फीड करा सकती हैं. वहीं, सर्जरी के प्रकार, चीरा लगाने की जगह और प्रोसेस के दौरान मिल्क डक्ट्स अफेक्ट होने के कारण ब्रेस्ट फीडिंग पर असर पड़ सकता है.
" पीएसआरआई अस्पताल में जनरल और जी.आई. सर्जरी में सलाहकार डॉ. प्रशांत कुमार कहते हैं कि अगर ब्रेस्ट टिश्यू बरकरार रहते हैं, तो मसल्स के नीचे लगाए गए इम्प्लांट आमतौर पर फीडिंग में बाधा नहीं डालते हैं.
क्या कहती है स्टडीज?
स्टडीज से संकेत मिलता है कि इम्प्लांट्स वाली ज्यादातर महिलाएं ब्रेस्टफीड करा सकती हैं, लेकिन कुछ को दूध उत्पादन में कमी या स्तनपान कराने में कठिनाई जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. डॉ. गुप्ता सलाह देते हैं कि सर्जिकल तकनीक जो मिल्क डक्ट्स पर प्रभाव को कम करती हैं, जैसे कि मांसपेशियों के नीचे इम्प्लांट्स लगाना और चीरों का उपयोग करना, ब्रेस्टफीडिंग की क्षमता को संरक्षित करने में मदद कर सकता है.
फुल मास्टेक्टॉमी क्या है?
डॉ. कुमार कहते हैं कि स्तनपान की संभावना काफी हद तक सर्जरी के दौरान ब्रेस्ट टिश्यू के प्रोटेक्शन पर निर्भर करती है. "अगर फुल मास्टेक्टॉमी की जाती है, तो बाद में ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन मुश्किल होगा, क्योंकि इसमें पूरे ब्रेस्ट टिश्यू को हटा दिया जाता है". हालांकि, ऐसे मामलों में जहां ब्रेस्ट टिश्यू प्रोटेक्ट नहीं है, ब्रेस्ट फीडिंग हो सकती है.
हो सकती है एंग्जायटी
ब्रेस्ट इंप्लांट का सीधा असर महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर पड़ सकता है. डॉ गुप्ता का कहना है कि ब्रेस्ट इंप्लांट से सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ जाता है, लेकिन सर्जरी करवाने का फैसला मुश्किल हो सकता है. वहीं, कुछ महिलाओं को सर्जरी, रिकवरी और कॉम्प्लेक्शन से एंग्जायटी हो सकती है.
जानकारी के साथ फैसला लेना
ब्रेस्ट इंप्लांट से महिलाओं अपनी बॉडी को लेकर ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस करती हैं, लेकिन यह मेंटल और फिजिकल प्रॉब्लम के साथ आता है. सर्जरी और तकनीक के आधार रिजल्ट अलग-अलग हो सकते हैं. इसलिए अगर आप ब्रेस्ट इम्प्लांट्स का सोच रही हैं, तो इससे जुड़ी सारी जानकारी लें. साथ ही, किसी एक्सपर्ट से सलाह लेना न भूलें.