बिहार शॉक: मां के दूध में मिला खतरनाक यूरेनियम, 70% शिशुओं को कैंसर का खतरा!
सबसे ज्यादा औसत मात्रा खगड़िया जिले में पाई गई, जबकि नालंदा में सबसे कम. लेकिन कटिहार जिले की एक मां के दूध में सबसे ज्यादा यूरेनियम मिला. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इन छह जिलों में करीब 70 प्रतिशत स्तनपान करने वाले शिशुओं के लिए यह यूरेनियम स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.
मां का दूध दुनिया में किसी भी नवजात बच्चे के लिए सबसे अच्छा और पूरा आहार माना जाता है. इसमें बच्चे के शरीर और दिमाग के विकास के लिए सारे जरूरी पोषक तत्व बिल्कुल सही मात्रा में मौजूद होते हैं. लेकिन बिहार के कुछ इलाकों में हाल ही में हुई एक रिसर्च ने सभी को चौंका दिया है और बहुत चिंता में डाल दिया है. पटना के प्रसिद्ध महावीर कैंसर संस्थान और दिल्ली के एम्स (AIIMS) के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक बहुत इम्पोर्टेन्ट स्टडी किया है. यह स्टडी अक्टूबर 2021 से जुलाई 2024 तक चली.
इसमें बिहार के छह जिलों भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा की कुल 40 ऐसी माताओं के स्तन दूध के नमूने लिए गए, जो अपने बच्चों को दूध पिला रही थी. लैब में जब इन नमूनों की गहन जांच की गई तो एक बेहद डराने वाली बात सामने आई. हर एक मां के दूध में यूरेनियम (U-238) नाम का खतरनाक भारी धातु पाया गया. किसी नमूने में इसकी मात्रा बहुत कम (लगभग शून्य) थी तो किसी में 5.25 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक मिली.
यूरेनियम स्वास्थ्य के लिए गंभीर
सबसे ज्यादा औसत मात्रा खगड़िया जिले में पाई गई, जबकि नालंदा में सबसे कम. लेकिन कटिहार जिले की एक मां के दूध में सबसे ज्यादा यूरेनियम मिला. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इन छह जिलों में करीब 70 प्रतिशत स्तनपान करने वाले शिशुओं के लिए यह यूरेनियम स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. दुनिया में अभी तक किसी भी देश या बड़ी स्वास्थ्य संस्था ने यह नहीं बताया है कि मां के दूध में यूरेनियम की कितनी मात्रा 'सुरक्षित' मानी जाए. इसलिए यह स्थिति और भी चिंताजनक है. दिल्ली एम्स के डॉक्टर अशोक शर्मा ने बताया कि अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि यह खतरनाक यूरेनियम मां के शरीर में और फिर दूध में आखिर कहां से आ रहा है. इसके स्रोत का पता लगाने के लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) जांच कर रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर यूरेनियम हमारे खाने-पीने की चीजों में घुस गया है, तो इससे बच्चों में कैंसर, दिमाग की समस्याएं, किडनी खराब होना, शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट और कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
भूजल आर्सेनिक, सीसा, पारा जैसे जहरीले तत्व
बिहार में पहले से ही भूजल (जमीन के नीचे का पानी) और मिट्टी में आर्सेनिक, सीसा, पारा जैसे जहरीले तत्व बहुत ज्यादा मात्रा में मिल रहे हैं. अब मां के दूध में यूरेनियम मिलना यह साबित करता है कि प्रदूषण अब सीधे नवजात शिशुओं तक पहुंच चुका है. एक्सपर्ट्स के अनुसार छोटे बच्चे सबसे ज्यादा खतरे में हैं क्योंकि उनका शरीर अभी बन रहा होता है, वे जहरीली धातुओं को बहुत तेजी से सोख लेते हैं, उनका वजन बहुत कम होता है, इसलिए थोड़ी सी भी मात्रा उनके लिए बहुत खतरनाक हो जाती है.
बढ़ सकता है कैंसर का खतरा
इससे बच्चे की किडनी खराब हो सकती है, दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है, लंबाई-वजन बढ़ने में देरी हो सकती है और बड़े होने पर कैंसर का खतरा बहुत बढ़ जाता है. फिर भी डॉक्टरों ने साफ कहा है कि मां का दूध बिल्कुल बंद नहीं करना चाहिए, क्योंकि आज भी यह बच्चे के लिए सबसे अच्छा और जरूरी पोषण है. कोई दूसरा दूध या फॉर्मूला इसका पूरा ऑप्शन नहीं बन सकता. लेकिन साथ ही उन्होंने सरकार और संबंधित विभागों से तुरंत कड़े कदम उठाने की मांग की है, जैसे:पूरे क्षेत्र में पीने के पानी की लगातार जांच, प्रदूषण के स्रोतों पर सख्त निगरानी,लोगों को सुरक्षित पानी उपलब्ध कराना और मिट्टी और खेती में इस्तेमाल होने वाले रसायनों की जांच.





