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ट्रूडो के इस्‍तीफे से क्‍या सुधरेंगे भारत-कनाडा के रिश्‍ते? जानें क्या हैं इसके मायने

India Canada Relations: अब ट्रूडो के इस्तीफे के बाद यह सवाल उठ रहा है कि उनके जाने से क्या कनाडा और भारत के रिश्तों में सुधार होगा या फिर यह और खराब हो जाएंगे. इसी के साथ इस खबर में जानते हैं कि ट्रूडो के इस्तीफे के बाद दोनों देशों संबंधों पर क्या होगा असर?

ट्रूडो के इस्‍तीफे से क्‍या सुधरेंगे भारत-कनाडा के रिश्‍ते? जानें क्या हैं इसके मायने
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 7 Jan 2025 11:51 AM IST

India Canada Relations: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सत्ताधारी लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन जब तक पार्टी अपना नया नेता नहीं चुन लेती, तब तक ट्रूडो ही प्रधानमंत्री बने रहेंगे. उनके इस्तीफे के बाद अब यह चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि भारत और कनाडा के रिश्तों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा. खासकर तब जब खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया था.

ट्रूडो ने पहले नई दिल्ली पर कनाडा की धरती पर निज्जर की कथित हत्या करके बड़ी गलती का आरोप लगाया था, हालांकि, उनकी टीम ने इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया. अब ट्रूडो के इस्तीफे के बाद यह सवाल उठ रहा है कि उनके जाने से क्या कनाडा और भारत के रिश्तों में सुधार होगा? नया लीडर क्या भारतीय मूल के नेताओं या कूटनीतिक दृष्टिकोण से कुछ बदलाव लाएगा.

ट्रूडो के इस्तीफे के बाद दोनों देशों संबंधों पर क्या होगा असर?

कनाडा में अगर लिबरल पार्टी सत्ता में बनी रहती है, तो संभव है कि जस्टिन ट्रूडो की नीतियों की विरासत भी जारी रहे, जिससे भारत और कनाडा के बीच तनाव बना रह सकता है. ट्रूडो सरकार के दौरान खालिस्तानी मुद्दे और निज्जर हत्या जैसे विवादों ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास डाली थी. अगर लिबरल पार्टी सत्ता में रहती है, तो यह तनाव जारी रह सकता है, क्योंकि उनकी विदेश नीति में इन मुद्दों पर पहले ही अलग दृष्टिकोण रहा है.

वहीं, अगर कंजर्वेटिव पार्टी सत्ता में आती है, तो भारत और कनाडा के रिश्तों में एक नया मोड़ देखने को मिल सकता है. कंजर्वेटिव पार्टी के पियरे पोलीवरे के नेतृत्व में, आर्थिक साझेदारी और साझा भू-राजनीतिक चिंताओं पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा सकता है. पोलीवरे की सरकार भारत के साथ गहरे संबंधों की दिशा में काम कर सकती है, खासकर दोनों देशों के बीच व्यापार और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर.

हालांकि, पियरे पोलीवरे का रुख अभी भी चिंताजनक है, क्योंकि उन्होंने पिछले साल दिवाली के एक कार्यक्रम से खुद को अलग कर लिया था, जिसके बाद कनाडा के कई हिंदू समूहों ने उनकी आलोचना की थी. इस परिप्रेक्ष्य में, उनका दृष्टिकोण और कार्यवाही भारत के साथ संबंधों पर प्रभाव डाल सकती है.

व्यापार और आर्थिक संबंध

भारत और कनाडा के बीच व्यापार संबंधों में 2024 के पहले तीन महीनों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, इंडिया के व्यापार मंत्रालय के मुताबिक, 31 मार्च 2024 तक पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में दोनों देशों का व्यापार बढ़कर 8.4 बिलियन डॉलर हो गया है. कनाडा की व्यापार मंत्री मैरी एनजी ने इस सफलता का समर्थन करते हुए कहा, 'हमारी सरकार कनाडा और भारत के बीच सुस्थापित वाणिज्यिक संबंधों का समर्थन करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.'

कनाडा भारत को खनिज, दालें, पोटाश, औद्योगिक रसायन, और रत्न निर्यात करता है, जबकि भारत कनाडा को फार्मास्यूटिकल्स, समुद्री उत्पाद, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोती और कीमती पत्थर भेजता है. यह व्यापार संबंध दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित हो रहे हैं और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने में मदद कर रहे हैं. हालांकि, नेतृत्व में किसी भी बदलाव, जैसे जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे और नए प्रधानमंत्री के चुने जाने के बाद, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) सहित चल रही व्यापार वार्ता को प्रभावित कर सकता है. अब तक, किसी भी देश ने टैरिफ या अन्य आर्थिक प्रतिशोध नहीं लगाए हैं, जिससे दोनों देशों के व्यापार संबंधों में स्थिरता बनी हुई है.

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