इस साल जमकर बरसेंगे बदरा, IMD ने जताया 'अच्छे दिनों' का पूर्वानुमान; जानिए बीते वर्षों में कैसा रहा ट्रेंड
भारत में इस साल सामान्य से अधिक मानसून रहने का अनुमान जताया गया है, जो कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी राहत है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, जून से सितंबर के बीच कुल वर्षा दीर्घकालीन औसत का 105% हो सकती है. देश की 52% कृषि भूमि मानसून पर निर्भर है और यह पेयजल व बिजली उत्पादन के लिए भी अहम है. विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश की तीव्रता बढ़ रही है लेकिन बारिश के दिन घट रहे हैं, जिससे सूखा और बाढ़ जैसी स्थितियां बनती हैं. इस बार एल नीनो प्रभाव भी नहीं दिखेगा.

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस साल देश में सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है. यह खबर कृषि पर निर्भर करोड़ों लोगों के लिए राहत की सांस जैसी है. जून से सितंबर तक चलने वाले चार महीनों के मानसून सीजन में औसत वर्षा 87 सेंटीमीटर मानी जाती है. इस बार IMD का अनुमान है कि कुल वर्षा इसकी 105% तक रह सकती है.
अर्थव्यवस्था को मिलेगी ताकत
कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 18% योगदान देती है. साथ ही, देश की 42% आबादी की आजीविका सीधे तौर पर खेती पर निर्भर है. भारत की कुल कृषि योग्य भूमि में से लगभग 52% भाग मानसूनी वर्षा पर निर्भर है. इसलिए यह अनुमान न केवल खेती के लिए, बल्कि जल आपूर्ति और बिजली उत्पादन जैसे क्षेत्रों के लिए भी बेहद अहम है.
पिछले सालों का ट्रेंड: क्या कहते हैं आंकड़े?
- 2024 - इसा साल सामान्य से कम यानी 94 फीसदी ही बारिश हुई. इसके पीछे अल नीनो को कारण माना गया. कम बारिश की वजह से कई राज्यों में सूखे जैसे हालात भी रहे.
- 2023 - इस साल भी 96 फीसदी बारिश ही दर्जा की गई लेकिन बारिश का बंटवारा बेहद असामान्य था, जिसकी वजह से देश में बाढ़ और सूखा दोनों ही दर्ज किए गए.
- 2022 - इस साल सामान्य से कुछ ज्यादा यानी 103% बारिश हुई थी जिसकी वजह से खरीफ का बंपर उत्पादन हुआ था.
- 2021 में तो सामान्य से अधिक यानी 105 फीसदी बारिश हुई जिससे बंपर फसल उत्पादन हुआ और ग्रामीण मांग में तेज उछाल दर्ज किया गया.
- 2020 का साल शानदार बारिश के लिए याद किया जाता है. इसा साल 109 फीसदी बारिश हुई जिससे रिकॉर्ड फसल उत्पादन हुआ औ GDP को जबरदस्त सहारा मिला.
इस बार क्यों है उम्मीद ज्यादा?
IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि इस साल एल-नीनो प्रभाव नहीं देखा जाएगा, जो पिछले साल कम बारिश की एक बड़ी वजह बना था. इससे उम्मीद है कि इस बार बारिश अच्छी और समय पर होगी.
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारी बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं जबकि कुल 'वर्षा वाले दिनों' की संख्या घट रही है. इसका मतलब है कि बारिश भले ही ज्यादा हो, लेकिन उसका वितरण असमान हो सकता है – कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा. हर साल मानसून 1 जून के आसपास केरल के तट पर दस्तक देता है और सितंबर के मध्य तक देशभर से विदा लेता है. इस साल भी इसी समयसीमा में इसके आने की संभावना है, हालांकि IMD मई में पहली आधिकारिक तिथि घोषित करेगा.
कृषि से बाजार तक असर
- अच्छे मानसून से खरीफ फसलों की बुवाई समय पर होगी.
- खाद्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण संभव है.
- ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढ़ेगी, जिससे FMCG और ऑटो सेक्टर को फायदा होगा.