देश के नए चीफ जस्टिस को क्यों छोड़नी पड़ेगी मॉर्निंग वॉक? वजह आई सामने
चीफ जस्टिस बनने के बाद 'सुबह की सैर' पर नहीं जा पाएंगे जस्टिस संजीव खन्ना. दरअसल, जस्टिस खन्ना को सिक्योरिटी के साथ मॉर्निंग वॉक पर जाने की सलाह दी गई थी, लेकिन जस्टिस खन्ना ने इससे इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी की आदत नहीं है.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, जो जल्द ही भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले हैं, अपने कार्यकाल की तैयारियों के चलते कुछ व्यक्तिगत बदलाव किए हैं. 11 नवंबर को सीजेआई का पदभार ग्रहण करने वाले जस्टिस खन्ना का कार्यकाल छह महीने का होगा और वे मई 2025 में सेवानिवृत्त होंगे.
खबरों के अनुसार, न्यायमूर्ति खन्ना ने अपनी सुबह की सैर की आदत को छोड़ दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि सीजेआई बनने की जिम्मेदारियों और तैयारियों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह निर्णय लिया है. इस बदलाव के पीछे मुख्य कारण उनके नए दायित्वों और भविष्य की व्यस्तताओं को लेकर उनका ध्यान और एकाग्रता बनाए रखना है.
सोशल मीडिया और वीडियो माध्यमों की बढ़ती लोकप्रियता के इस दौर में अदालत में मामलों की सुनवाई का सीधा प्रसारण, कानून से जुड़ी हस्तियों और अदालतों से बाहर उनसे जीवन जुड़ी खास बातें जानने में दिलचस्पी भी बढ़ रही है. इसी कड़ी में जस्टिस संजीव खन्ना से जुड़ा एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है. सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया है कि जस्टिस संजीव खन्ना प्रधान न्यायाधीश बनने के बाद सुबह की सैर नहीं कर सकेंगे.
मॉर्निंग वॉक पर क्या बोले संजीव खन्ना?
न्यायूमूर्ति संजीव खन्ना प्रत्येक सुबह दिल्ली में लोधी गार्डन और अपने आवास के पास कई किलोमीटर तक अकेले टहलते थे. यह विश्वास करते हुए उन्हें कोई पहचान पाएगा. CJI के रूप में शपथ ग्रहण के समय न्यायमूर्ति खन्ना को सुरक्षाकर्मियों के साथ की सुबह सैर करने की सलाह दी थी लेकिन उन्होंने सुरक्षाकर्मियों के साथ जाने माना कर दिया है और कहा कि इसकी आदत नहीं है.
64 वर्षीय न्यायमूर्ति संजीव खन्ना 13 मई, 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. न्यायमूर्ति खन्ना ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए 65 निर्णय लिखे हैं. इस अवधि के दौरान, उन्होंने लगभग 275 पीठों में भाग लिया है.