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अपोलो अस्पताल पर क्यों भड़का सुप्रीम कोर्ट? बोला- गरीबों को मुफ्त इलाज दे, वरना एम्स को सौंप देंगे

सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल को चेताया कि यदि गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज नहीं मिला, तो एम्स को इसका नियंत्रण सौंप दिया जाएगा. कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से संयुक्त निरीक्षण दल गठित करने को कहा. अस्पताल को 15 एकड़ जमीन सिर्फ 1 रुपये किराए पर मिली थी, लेकिन अब इसे व्यवसायिक केंद्र में बदलने का आरोप है.

अपोलो अस्पताल पर क्यों भड़का सुप्रीम कोर्ट? बोला- गरीबों को मुफ्त इलाज दे, वरना एम्स को सौंप देंगे
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 26 March 2025 3:28 PM

सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल को फटकार लगाते हुए स्पष्ट कर दिया कि गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज न मिलने की स्थिति में अस्पताल का नियंत्रण एम्स को सौंपने का आदेश दिया जा सकता है. अदालत ने कहा कि यह अस्पताल एक लीज एग्रीमेंट के तहत संचालित हो रहा है, जिसमें गरीबों के इलाज की बाध्यता है, लेकिन अगर यह शर्त पूरी नहीं की जा रही है तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा.

अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे एक संयुक्त निरीक्षण दल बनाएं, जो यह पता लगाए कि क्या वास्तव में अस्पताल में गरीबों का मुफ्त इलाज हो रहा है या फिर इसे एक निजी व्यावसायिक केंद्र में बदल दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट की इस सख्त टिप्पणी के बाद अब सरकार और अस्पताल प्रबंधन पर दबाव बढ़ गया है कि वे अपनी स्थिति स्पष्ट करें.

एक रुपये के किराए पर है जमीन

दिल्ली के पॉश इलाके में 15 एकड़ जमीन मात्र 1 रुपये के प्रतीकात्मक किराए पर इंद्रप्रस्थ मेडिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईएमसीएल) को दी गई थी, जिसकी शर्तों में गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज अनिवार्य था. अदालत को यह जानकारी मिली कि अस्पताल प्रबंधन ने इन शर्तों का पालन नहीं किया और लाभ कमाने के उद्देश्य से अस्पताल को संचालित किया जा रहा है.

सरकार की है 26% हिस्सेदारी

आईएमसीएल के वकील ने दलील दी कि अस्पताल दिल्ली सरकार के साथ संयुक्त उद्यम के रूप में संचालित होता है, जिसमें सरकार की 26% हिस्सेदारी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि सरकार गरीबों के इलाज की जिम्मेदारी निभाने के बजाय केवल मुनाफा कमा रही है, तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

किन शर्तों पर लीज हुआ रीन्यू

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि 2023 में समाप्त हो चुके लीज एग्रीमेंट को रीन्यू किया गया है या नहीं. अगर किया गया है, तो किन शर्तों पर? यदि नहीं, तो सरकार ने इस पर अब तक क्या कदम उठाए हैं? अदालत ने इस पूरे मामले में पारदर्शिता की जरूरत बताते हुए अस्पताल से पिछले पांच वर्षों के ओपीडी और भर्ती मरीजों का पूरा रिकॉर्ड मांगा है.

गरीबों का छीना जा रहा अधिकार

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि अगर अस्पताल गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज देने की शर्तों का पालन नहीं करता है, तो इससे न केवल गरीबों का अधिकार छीना जा रहा है, बल्कि सरकारी जमीन का भी गलत उपयोग हो रहा है. अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि यदि अस्पताल अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और इसे एम्स को सौंपने में देर नहीं की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट
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