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कांग्रेस के लिए क्यों खास है बेलगावी? दिल्ली से 1800 किमी दूर अधिवेशन के सियासी मायने

Congress Belagavi Adhiveshan: कांग्रेस की आज से दो दिवसीय बैठक कर्नाटक के बेलगावी में शुरू होने जा रही है. इसी बेलगावी में महात्मा गांधी ने कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी. इसके बाद उन्होंने कभी कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता नहीं की. यह बैठक दिल्ली से 1800 किमी दूर उसी जगह पर हो रही है, जहां 1924 का अधिवेशन हुआ था.

कांग्रेस के लिए क्यों खास है बेलगावी? दिल्ली से 1800 किमी दूर अधिवेशन के सियासी मायने
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Belagavi Congress Adhiveshan: कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस की कार्यसमिति की आज (26 दिसंबर) से दो दिवसीय बैठक हो रही है. यह बैठक महात्मा गांधी के द्वारा 1924 में कांग्रेस की अध्यक्षता करने की 100 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हो रही है. गांधी जी ने केवल बेलगावी (तब इसे बेलगाम कहा जाता था) अधिवेशन की ही अध्यक्षता की थी. इसके बाद उन्होंने किसी अधिवेशन की अध्यक्षता नहीं की.

कांग्रेस की तरफ से 27 दिसंबर को बेलगावी में जनसभा का आयोजन किया जाएगा. डिप्टी सीएम डी के शिवकुमार ने बताया कि इस जनसभा का 'नाम जय बापू जय भीम जय संविधान सम्मेलन' रखा गया है. हमने इस क्षेत्र को महात्मा गांधी नवनगर घोषित किया है. उन्होंने बताया कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक गांधी कुएं के पास होगी.

कांग्रेस के लिए क्यों महत्वपूर्ण है बेलगावी अधिवेशन?

डी के शिवकुमार ने बताया कि महात्मा गांधी ने 1924 में कांग्रेस की अध्यक्षता की थी. यह गर्व की बात है कि मल्लिकार्जुन खरगे इसकी अध्यक्षता कर रहे हैं. हम यह सम्मेलन उसी 80 एकड़ जमीन पर आयोजित कर रहे हैं, जहां 1924 का सम्मेलन हुआ था. उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में देश के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा होगी.

1924 बेलगावी कांग्रेस अधिवेशन

कांग्रेस का 39वां अधिवेशन 1924 में बेलगाम में हुआ था. इसकी अध्यक्षता गंगाधर राव देशपांडे ने किया था. उन्हें कर्नाटक का खादी भागीरथ भी कहा जाता था. उस समय बेलगावी को बेलगाम कहा जाता था. हालांकि, शुरुआत में गांधी जी बेलगाम नहीं आना चाहते थे. उन्हें लगता था कि उन्हें उत्तर भारत के दंगा ग्रस्त इलाकों में रहना चाहिए. आखिरकार देशपांडे ने उन्हें बेलगाम आने के लिए मना लिया.

कांग्रेस की कार्यशैली में हुआ बदलाव

बेलगाम अधिवेशन महत्वपूर्ण साबित हुआ. गांधी जी की अध्यक्षता ने कांग्रेस की कार्यशैली और उसके संगठनात्मक ढांचे को बदलकर रख दिया. उन्होंने 'स्वराज' और 'सर्वोदय' के अपने सपने पर चर्चा की. उन्होंने कांग्रेस को एक पॉलिटिकल एजेंसी से सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता के लिए लड़ने के मकसद से परिवर्तन के एजेंट में बदलने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की.

कांग्रेस की वार्षिक सदस्यता शुल्क में 90 फीसदी की हुई कमी

बेलगाम अधिवेशन में नियमित सत्रों के अलावा, छुआछूत के खिलाफ, खादी और ग्रामोद्योग, छात्रों, नगर पालिका प्रशासन और भाषाई आधार पर राज्यों के गठन के पक्ष में अलग-अलग सम्मेलनों का आयोजन किया गया. उन्होंने कांग्रेस की वार्षिक सदस्यता शुल्क में 90 फीसदी की कमी की और सभी पार्टी सदस्यों से आग्रह किया कि वे यह समझें कि कांग्रेस एक आंदोलन है. वे सभी सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो न केवल ब्रिटिश शासन से राजनीतिक मुक्ति के लिए काम कर रहे हैं, बल्कि छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों से भी मुक्ति के लिए काम कर रहे हैं.

कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए गांधी जी ने शहरी विकास और नगर नियोजन पर पार्टी कार्यकर्ताओं की दो बैठकों को संबोधित किया. उन्होंने अस्पृश्यता उन्मूलन पर एक अलग सत्र आयोजित किया. यहीं पर उन्होंने कहा था: यदि मुझे दोबारा जन्म लेना पड़े तो मैं भंगी के रूप में जन्म लूंगा.

'किसानों के आर्थिक उत्थान के लिए एक साधन है गाय'

गौ रक्षा पर एक सत्र में गांधीजी ने जोर देकर कहा कि गाय किसानों के आर्थिक उत्थान के लिए एक साधन है. उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे उन गायों का उपयोग करें, जो दूध देना बंद कर चुकी हैं. इसके साथ ही, खेतों की जुताई के लिए उन्हें इस्तेमाल करें. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में स्पष्ट किया कि गौ रक्षा के लिए उनकी वकालत का मतलब मुसलमानों जैसे समुदायों के खिलाफ हिंसा नहीं है, जो गोमांस खाते हैं. उन्होंने कहा कि यह उन्हें जबरन हिंदू धर्म में परिवर्तित करना होगा, जो स्वीकार्य नहीं है.

लोगों की प्यास बुझाने के लिए खोदा गया विशाल कुआं

कांग्रेस अधिवेशन में आए हुए लोगों के लिए एक विशाल कुआं खोदा गया था, जिसका नाम पंपा सरोवर रखा गया. यह अभी भी दक्षिण बेलगावी के कुछ हिस्सों को पानी की आपूर्ति कर रहा है. यह स्थान विजय नगर राजवंश की राजधानी हम्पी की एतिहासिक जगह है. आज तिलकवाड़ी में उसी जगह पर विजयनगर वीर सौधा उद्यान नाम का पार्क बनाया गया है. उसी समय से यह स्थान गांधी स्मारक में बदल गया है. कांग्रेस के अधिवेशन में मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और सरोजिनी नायडू समेत कई नेता शामिल हुए थे.

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