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सुप्रीम कोर्ट ने बुल्डोजर जस्टिस को क्यों बताया गैरकानूनी? इन 10 बातों में समझ जाएंगे पूरा मामला
Bulldozer action: सुप्रीम कोर्ट ने बुल्डोजर जस्टिस को गलत बताते हुए कहा कि अगर सरकार ऐसी कार्रवाई कर रही है तो वह अपने पावर से ऊपर जाकर कानून का उल्लंघन कर रही है. ये कानून के नियम और सेपरेशन ऑफ पावर का उल्लंघन है.

Supreme Court On Bulldozer action
( Image Source:
ANI, Canva )
Supreme Court On Bulldozer action: बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कोई दोषी या आरोपी है तो इस तरह के एक्शन से उसके परिवार को क्यों सजा मिले. सरकार आरोप के आधार पर किसी व्यक्ति के मकान/संपत्ति को नहीं गिरा सकती है, क्योंकि ये कानून के नियम और सेपरेशन ऑफ पावर का उल्लंघन है.
आइए इन 10 प्वाइंट्स में SC के इस फैसले को समझते हैं.
- जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया है.
- कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि सरकार किसी भी परिस्थिति में किसी को भी दोषी नहीं बना सकती है. वह सिर्फ आरोप तय कर सकती है. ये सिर्फ कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है.
- कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर सरकार किसी भी संपत्ति को बिना कानून के प्रोसेस को पूरा किए बिना तोड़ती है या फिर नुकसान पहुंचाती है, तो वह अपने पावर से आगे जाकर नेचुरल जस्टिस और रूल ऑफ लॉ का उल्लंघन कर रही है.
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि जब कोई अधिकारी ऐसा कदम उठाता है, तो वह भी इस अपराध में शामिल है और इसके लिए दोषी पाया जाएगा. यह एक समाज को अत्याचारी मानसिकता की ओर ले जाता है.
- सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि इस तरह की कार्रवाई आरोपी/दोषी के परिवार पर सामूहिक दंड लगाने के समान है. जब किसी विशेष संरचना को अचानक ध्वस्त करने के लिए चुना जाता है और बचे हुए संपत्तियों को नहीं छुआ जाता है, तो इसका वास्तविक मकसद अवैध संरचना नहीं बल्कि बिना सुनवाई के दंडित करने की कार्रवाई है.
- कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि बिना पहले कारण बताओ नोटिस दिए कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए. नोटिस मालिक को रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाएगा. इसे इमारत के बाहरी हिस्से पर भी चिपकाया जाएगा. नोटिस मिलने के बाद 15 दिन का समय शुरू होगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी स्पष्ट किया कि ये निर्देश किसी सार्वजनिक स्थान जैसे सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन या किसी नदी या जल निकाय पर कोई अवैध कंस्ट्रक्शन होने पर लागू नहीं होगा और ऐसे मामलों में भी लागू नहीं होंगे जहां कोर्ट ने कोई आदेश पारित किया गया हो.
- अगर किसी संरचना पर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी और उसे सुरक्षित रखा जाएगा. रिपोर्ट में ध्वस्तीकरण में भाग लेने वाले पुलिस और सिविल कर्मियों की सूची शामिल होगी, नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए और उसे डिजिटल पोर्टल पर भी अपलोड करना अनिवार्य है.
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि यदि यह पाया जाता है कि ध्वस्तीकरण कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है तो जिम्मेदार अधिकारियों से इसकी भरपाई की जाएगी.
- सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को संविधान के आर्टिकल 142 से अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया कि देश में उसकी अनुमति के बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जाएगी. इसमें सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या जलाशयों पर अतिक्रमण शामिल नहीं है.