वक़्फ संशोधन कानून पर 'सुप्रीम सुनवाई' में CJI ने क्यों किया खजुराहो का जिक्र? पढ़ें 10 बड़ी बातें
वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तमाम दलीलें दीं. उनकी एक दलील पर चीफ जस्टिस बीआर गवई को खजुराहो का जिक्र तक करना पड़ा. पढ़ें सुनवाई के दौरान क्या-क्या दी गईं दलीलें.

वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि संसद से पारित किसी भी कानून को ‘संवैधानिक मान्यता’ (presumption of constitutionality) प्राप्त होती है और जब तक कानून में कोई “स्पष्ट असंवैधानिकता” साबित न हो, अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती. यह टिप्पणी उस वक्त आई जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ संशोधन कानून को “गैर-संवैधानिक” बताते हुए इसका विरोध किया और तर्क दिया कि यह कानून "वक्फ संपत्तियों पर कब्जे" के लिए लाया गया है.
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल की एक दलील पर चीफ जस्टिस गवई को खजुराहो का उदाहरण देना पड़ा. सिब्बल ने कहा कि अतीत में जब ऐतिहासिक स्मारकों को सरकारी संरक्षण में लिया जाता था, तब भी उनकी वक्फ की स्थिति कायम रहती थी. लेकिन नए कानून के तहत ऐसे स्मारकों का वक्फ दर्जा खत्म हो सकता है, जिससे उपासना के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा. इस पर चीफ जस्टिस ने जवाब में कहा कि खजुराहो जैसे संरक्षित स्मारकों में आज भी लोग मुख्य मंदिर में जाकर पूजा करते हैं.
पढ़ें सुनवाई के दौरान की 10 बड़ी बातें...
- मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि संसद से पारित कानूनों को संवैधानिक मान्यता प्राप्त होती है, जब तक कोई स्पष्ट असंवैधानिकता न हो, कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती.
- कोर्ट ने पहले ही तीन बिंदु चिन्हित किए हैं – वक्फ बाय यूजर, गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में नामांकन और सरकारी जमीन की वक्फ पहचान.
- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता इन तीन मुद्दों से आगे जाकर अतिरिक्त बिंदुओं को उठा रहे हैं, जो अनुचित है.
- कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि "पीस-मील सुनवाई" नहीं हो सकती और पूरी तरह से कानून की समीक्षा होनी चाहिए.
- सिब्बल का आरोप – वक्फ संशोधन कानून का उद्देश्य मुस्लिमों से उनकी संपत्ति छीनना है, यह पूरी तरह असंवैधानिक है.
- नए कानून के अनुसार, वक्फ बनाने वाले को कम से कम 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन करने वाला होना चाहिए – इसे सिब्बल ने गलत और अनुचित बताया.
- नया कानून वक्फ विवादों का फैसला सरकारी अफसरों पर छोड़ता है, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं.
- ASI द्वारा संरक्षित घोषित होते ही कोई भी वक्फ संपत्ति, जैसे जामा मस्जिद (संभल), अपना वक्फ दर्जा खो सकती है – याचिकाकर्ताओं ने इसे खतरनाक बताया.
- सिब्बल ने कहा कि मस्जिदों में मंदिरों जैसा चढ़ावा नहीं आता और न ही सरकार सीधे फंड देती है, इसलिए लोग निजी संपत्ति वक्फ करते हैं.
- याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कानून की कुछ धाराएं बिना संसदीय चर्चा के जोड़ी गईं, जिससे इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठता है.