कौन थे वीर अब्दुल हमीद? पाकिस्तानियों को चटाई थी धूल, जानिए 'टैंक विध्वंसक' के वीरता की कहानी
Who is Veer Abdul Hamid: 'वीर अब्दुल हमीद' टाइटल से एक चैप्टर NCERT के क्लास 6 के सिलेबस में शामिल किया गया है. अब्दुल हमीद को यूं ही नहीं वीर कहा गया है. उन्होंने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए अपनी साहस का परिचय दिया था. उनकी इस वीरता के लिए उन्हें 'टैंक विध्वंसक' की उपाधि भी दी गई है. उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र मिला.

Who is Veer Abdul Hamid: परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की की कहानी अब देश का बच्चा-बच्चा जानेगा. हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय शिक्षा पाठ्यक्रम 2023 के तहत, एनसीईआरटी की 6ठी कक्षा की किताबों में 'राष्ट्रीय युद्ध स्मारक' नाम की कविता और 'वीर अब्दुल हमीद' नामक का एक अध्याय जोड़ा है.
शहादत के बाद अब्दुल हमीद को 'टैंक विध्वंसक' की उपाधि भी दी गई थी. अब्दुल हमीद को 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र मिला था. उन्होंने 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान लड़ी गई सबसे भीषण टैंक लड़ाइयों में अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था. उनकी लड़ाई को NCERT में शामिल किया जाना उन्हें ही श्रद्धांजलि नहीं है, बल्कि देश को उन हर वीर के लिए सम्मान है, जिन्होंने भारत के लिए बलिदान दिया है.
जानें अब्दुल हमीद के बारे में
वीर अब्दुल हमीद ने 10 सितम्बर 1965 को पाकिस्तानी टैंकों से देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया. अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई 1933 को उत्तर प्रदेश के धामूपुर गांव में हुआ था. वे 1954 में भारतीय सेना में शामिल हुए. 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हमीद ने युद्ध में शहीद होने से पहले दुश्मन के सात पैटन टैंक नष्ट कर दिए थे. उनकी बहादुरी पर पूरा देश गर्व महसूस करता है.
1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनकी वीरता की चर्चा जोरों पर थी. 55 साल पहले 10 सितंबर 1965 को वे शहीद हुए थे और पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट करते समय उनके अदम्य साहस के लिए उन्हें जाना जाता है. 10 सितंबर 1965 को सुबह 8 बजे पाकिस्तानी सेना ने खेम करण सेक्टर में भिक्कीविंड रोड पर चीमा गांव से आगे पैटन टैंकों की एक रेजिमेंट के साथ हमला कर दिया. हमले से पहले भारी गोलाबारी हुई. सुबह 9 बजे तक दुश्मन के टैंक आगे की मोर्चे पर घुस गए.
टैंक के आगे नहीं की थी जान की परवाह
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार अब्दुल हमीद दुश्मन की भारी गोलाबारी और टैंक की गोलीबारी के बीच एक जीप पर अपनी गन लगाकर आगे की ओर बढ़े. उन्होंने अपने आगे लगे दुश्मन के टैंक को मार गिराया और फिर तेजी से अपनी स्थिति बदलते हुए उन्होंने दूसरे टैंक को आग के हवाले कर दिया. इस समय तक इलाके में मौजूद दुश्मन के टैंकों ने उन्हें देख लिया था.
दुश्मनों पर बरसे थे वीर अब्दुल
हवलदार अब्दुल हमीद की बहादुरी भरी कार्रवाई ने उनके साथियों को वीरता से लड़ाई लड़ने और दुश्मन के भारी टैंक हमले को पीछे धकेलने के लिए प्रेरित किया. ऑपरेशन के दौरान उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर कोई परवाह नहीं की और दुश्मन की लगातार गोलीबारी के सामना करते हुए अपकी बहादुरी का परिचय देते रहे. यह युद्ध एक सप्ताह से भी कम होने के बाद उनकी जान चली गई. उनकी वीरता ने ना सिर्फ देश का सिर गर्व से ऊंचा किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी राष्ट्र रक्षा की भावना छोड़ गए. उनकी वीरता दर्शाता है कि देश के लिए जान देने वाले भारत प्रेमियों की कमी नहीं है.